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आमतौर पर हम जन्तु-विज्ञान या जूआलोजी का अध्ययन मेढक से ही आरभ करते हैं। ऐसा करने के कई कारण हैं। यदि आप मेंढक की रचना तथा इसके समस्त जीवन-क्रम को भरी भाँति समझ ले तो किसी भी अन्य जन्तु तथा मनुष्य के शरीर की रचना का ज्ञान सरल्तापूर्वक हो ‘सकता है।
अन्य जन्तुओो की अपेक्षा मेढक आसानी से प्रदेश के सभी भागो में मिलू जाता है। इसके अडे-वच्चे भी आसानी से मिल जाते हैं जिससे परिवर्धन की सभी अवस्थाओं का भी अध्ययन आसानी से किया जा सकता है। साथ ही साथ ये बहुत बडे नहीं होते जिससे प्रयोगशाला में इनके भगो का विच्छेदद भी सुविधाजनक होता है।
साथ ही साथ ये साफ सुथरे होते हैं और जीवित अवस्था में छूने पर ये किसी प्रकार का कष्ट नहीं पहुँचाते। मेंढक और टोड चरदिब्वेदा समुदाय के प्राणी है। वरटित्रेटा के सभी प्राणियों में रीढ की हड्डी या बरटिब्नल कालम होता है। इस समुदाय में मत्स्य , एमफीविया, रेप्टीलिया, एबोज और सेमेलिया होते है।
एम्फ्रीविया क्लास के अनेक जन्तु सदा पानी “में “ही रहते हैं लेकिन कुछ जल, और स्थल दोनो ही स्थानों में रह सकते है इसलिए इन्हे जल-स्थलचर कहते हैं इनकी त्वचा स्केलरहित, नम, लसलसी और ग्रन्यिक (2!०7000]27) होती है। नगी और नम त्वचा द्वारा ये साँस ले सकते हैं।
इस क्लास के श्रभी प्राणियों में अगली और पिछली ढाँगो में आमतौर पर पाँच अँगुलियाँ होती हैं। ये असमतापी होते हैं अर्थात् इनके शरीर का ताप वातावरण के ताप के अनुसार घढा-बढा करता है। इस क्लास के अधिकाश श्राणी अडज होते है, अर्थात् डे देते है। इन अडो का बाह्म-निषेचन होता है।
एम्फीबिया क्ठास के कुछ जल्तुजों में बडो से छा्वा या टेडपाल हज होते क हल में रहते हैं जौर (लत वा जल-इबसनिकाओं से नाँन ढेते हू। कुछ पटक बन गिल्म से साँस लेते हैं। वयस्क बवस्वा में अधिकतर एम्का- चने 8 ् वियवा में फेफड़ों छारा झ्वसन होता है!
ससार में मेंडह की लगभग स्पेणीज मिलती हैं। सावारण भार- तीय मेंडक राना दिय्ोना (पिवा। टी) कहलाता हैं। उप्णकटिवस्प में यें वढी सख्या में मिलते हैँ लेकिन जैसे-जैसे विषवत््-रेखा के उत्तर या दक्षिण में सर्दी बढ़ने के कारण इनकी सल्या उत्तरोत्तर घत्ती जाती है।
प्राकृतवात्त अन्य जातियों या स्पेंगीज को तरह भारतीय मेंढक, राना दिप्रीना नी तालावो, पोखरो, नदियों के स्विर पानी या उनके पास- पडोन में मिलता है। वर्षा ऋतु में जब जाह-जाह पानो भर जाता है तो यह इबर-ठवचर कूदता हुजा दिल््यई देता हैं। जलाझया में या उनके पाससंडोस में ही रूना यह क्यों पनद्ध का हैं?
Zoology PDF In Hindi Download
पुस्तक का नाम | Zoology PDF In Hindi |
पुस्तक के लेखक | राम प्रसाद एन्ड संस |
भाषा | हिंदी |
साइज | 17.7 Mb |
पृष्ठ | 478 |
श्रेणी | विषय |
फॉर्मेट |
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