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Yoga Vasishtha Pdf free Download / योग वशिष्ठ पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड

मित्रों इस पोस्ट में Yoga Vasishtha Pdf free दिया जा रहा है। आप नीचे की लिंक से Yoga Vasishtha Pdf free Download कर सकते हैं।

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Yoga Vasishtha Pdf free  योग वशिष्ठ Pdf Free Download

 

 

 

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Yoga Vasishtha Pdf free
योग वशिष्ठ Pdf फ्री डाउनलोड करें। 
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योग वशिष्ठ के बारे में 

 

 

 

जिस किसी का चित्त एक क्षण के लिए भी ‘आत्मतत्व’ में स्थित हो जाता है तो वह अवस्था ही उसकी अत्यंत समाधि कहलाती है। ऐसा योग वशिष्ठ में कहा गया है।

 

 

 

जिसका भी चित्त नित्य प्रबुद्ध है। वह अपने सारे कार्य करते हुए भी आत्मतत्व का रसास्वादन करता हुआ सर्वथा ही समाधि यज्ञ है अथवा समाधि में रमा हुआ रहता है।

 

 

 

 

लेकिन जो पद्मासन मुद्रा मे स्थित होकर ब्रह्मांजली कर में लिए हुए अपने चित्त को आत्मपद में लीन नहीं कर पाते है उन्हें किसी भी समय विश्रांति नहीं मिलती और न ही समाधि में स्थित हो पाते है।

 

 

 

 

जिसका चित्त सदैव शांत और समाहित नित्य तृप्त है जो सदा ही अनुभव करता है। अथवा उसे ज्यों का त्यों रूप में भान हो जाता है वही सदा सर्वदा समाधि में स्थित रहता है।

 

 

 

 

जो पुरुष अपनी जागृत अवस्था या सुप्त अवस्था में भी उस परम तत्व का सदैव चिंतन करता है। या जागृत अवस्था में अपने कार्य को करते हुए भी परम तत्व में लीन रहता है उसे ही सदा समाधिस्थ समझना चाहिए।

 

 

 

 

जिस प्रकार से नदी के प्रचंड वेग को कोई भी रोक नहीं सकता उसी प्रकार समाधिस्थ को भी रोकने का प्रयास विफल हो जाता है क्योंकि कोई भी अपने परमानंद को छोड़ना नहीं चाहता है।

 

 

 

 

जिस प्रकार गूंगे को गुड़ का स्वाद मिलने पर वह किसी को बता नहीं सकता उसी तरह ज्ञानी पुरुष अपनी समाधि की अवस्था को नहीं बता सकता उसे सिर्फ और सिर्फ अनुभव किया जा सकता है। जैसे एक माता अपने छोटे बालक का सुख जान सकती है उसी तरह समाधि और शांति की अवस्था भी होती है।

 

 

 

 

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