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Vindheshwari Stotra in Hindi Pdf / विंधेश्वरी स्तोत्र पीडीएफ



Vindheshwari Stotra in Hindi
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी,
प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी ।
बनेरणे प्रकाशिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
त्रिशूल मुण्ड धारिणी,
धरा विघात हारिणी ।
गृहे-गृहे निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
दरिद्र दुःख हारिणी,
सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
लसत्सुलोल लोचनं,
लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कराब्जदानदाधरां,
शिवाशिवां प्रदायिनी ।
वरा-वराननां शुभां,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कपीन्द्न जामिनीप्रदां,
त्रिधा स्वरूप धारिणी ।
जले-थले निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
विशिष्ट शिष्ट कारिणी,
विशाल रूप धारिणी ।
महोदरे विलासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
पुंरदरादि सेवितां,
पुरादिवंशखण्डितम् ।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं,
भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥
सिर्फ पढ़ने के लिये
उस सीता के स्वयंवर में शिव जी की धनु ने सभी की शक्ति क्षीण करके तोड़ दिया। तीनो लोको में जिन्हे अपनी वीरता का अभिमान था वह सारे बलवान वीर हार गए। परन्तु शिव जी का धनु किसी से नहीं हटा और कोई उसे हटा भी नहीं सका।
4- जो सुमेरु पर्वत को उठा सकता था, वह वीर बाणासुर भी उस धनु की परिक्रमा करके हृदय में हार मानकर चला गया और वह रावण भी जिसने खेल-खेल में कैलास पर्वत को उठा लिया था, उस सभा में पराजय को प्राप्त हुआ।
292- दोहा का अर्थ-
हे महाराज! सुनिए, जहां इतने वीर तथा प्रतापी योद्धा भी हार मान गए। वहां रघुवंश मणि, श्री राम जी ने शिव जी की उस धनु को बिना प्रयास के ही ऐसे तोड़ दिया जैसे कमल की डंडी को हाथी तोड़ देता है।
चौपाई का अर्थ-
1- धनु टूटने की बात सुनकर परशुराम जी क्रोधित होकर आये और उन्होंने बहुत प्रकार से आँखे दिखाई। लेकिन उन्होंने भी श्री राम जी का बल देखकर अंत में उन्हें अपना धनुष दे दिया और बहुत प्रकार से विनती करते हुए वन को चले गए।
2- हे राजन! जैसे श्री राम जी अतुल बल के धनी है। वैसे ही तेज निधान श्री लक्ष्मण जी है। जिनके देखने से ही सारे राजा लोग कांपते है, मानो सिंह का बच्चा देखते ही हाथी कांपने लगता है।
3- हे देव! अब तो आपके दोनों बालको को देखने के बाद हमारी आँखों के सामने कोई भी नहीं आ रहा है। प्रेम, प्रताप और वीर रस में पगी हुई दूतो की वचन रचना सबको बहुत ही प्रिय लगी।
4- सभा सहित राजा प्रेम में मग्न होकर दूतो को निछावर देने लगे। लेकिन दूतो ने इसे नीति के विरुद्ध बताकर अपने कान को मूंदने लगे। सभी लोगो ने दूतो के धर्म युक्त व्यवहार को देखकर सुखी हुए।
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