नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Varahamihir Brihatsanhita Pdf In Hindi देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Varahamihira Brihatsanhita Pdf In Hindi Download कर सकते हैं और आप यहां से 7 + वराहमिहिर बुक्स Pdf भी पढ़ सकते हैं।
Varahamihira Brihatsanhita Pdf In Hindi
वराहमिहिर बृहत्संहिता Pdf Download
2- बृहत्संहिता पीडीएफ डाउनलोड भाग 1

3- बृहत्संहिता पीडीएफ डाउनलोड भाग 2
सिर्फ पढ़ने के लिए
1- इस प्रकार से सब मनोरथ कर रहे है। उनके प्रेमयुक्त वचन सुनते ही सुनने वाले के मन हरण कर लेते है। उसी समय सीता जी की माता सुनयना जी की पढ़ाई हुई दासियाँ कौशल्या जी आदि के मिलने का सुंदर अवसर देखकर आयी।
2- उनसे यह सुनकर कि सीता जी की सब सासुये इस समय अवकाश में है। जनक राज का रनिवास उनसे मिलने आया। कौशल्या जी ने आदर पूर्वक उनका सम्मान किया और समयोचित आसन लाकर दिये।
3- दोनों ओर सबके शील और प्रेम को देखकर और सुनकर कठोर दिल भी पिघल जाते है। शरीर, पुलकित और शिथिल है, नेत्र में शोक और प्रेम के आंसू है। सब अपने पैर के नखो से जमीन क़ुदेरते हुए सोचने लगी।
4- सभी सीता राम जी के प्रेम की मूर्ति सी है। मानो स्वयं करुणा ही बहुत से वेस धारण करके दुःख कर रही हो। सीता जी की माता सुनयना जी ने कहा – विधाता की बुद्धि बहुत टेढ़ी है। जो दूध के फेन जैसा कोमल और निर्दोष है, उसके ऊपर कई प्रकार की विपत्ति गिरा रहा है।
281- दोहा का अर्थ-
अमृत तो केवल सुनने में ही आता है परन्तु विष तो प्रत्यक्ष ही देखा जा सकता है। विधाता की सभी करतूतें भयंकर है। जहां-तहां कौवे उल्लू और बगुले ही दिखाई देते है हंस तो केवल मान सरोवर में ही है।
चौपाई का अर्थ-
1- यह सुनकर देवी सुमित्रा जी शोक के साथ कहने लगी – विधाता की चाल बहुत ही विपरीत और विचित्र है, जो शृष्टि को उत्पन्न करके पालता है फिर नष्ट कर देता है। विधाता की बुद्धि बालक के खेल के समान विवेक शून्य है।
2- कौशल्या जी ने कहा किसी का दोष नहीं है – सुख-दुःख, हानि-लाभ सब कर्म के अधीन है। कर्म की गति कठिन (दुर्विज्ञेय) है, उसे विधाता ही जानता है। जो शुभ और अशुभ सभी फलो का प्रदाता है।
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