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Vagbhat Ayurved Books In Hindi Pdf / वाग्भट आयुर्वेद बुक्स इन हिंदी पीडीएफ




सिर्फ पढ़ने के लिए
1- ऐसा कहकर शरभंग जी श्री राम जी की कृपा से वह बैकुंठ को चले गए। मुनि भगवान में लीन इसलिए नहीं हुए कि उन्होंने पहले ही भेद-भक्ति का वर ले लिया था।
2- ऋषि समूह मुनि श्रेष्ठ शरभंग जी की यह दुर्लभ गति देखकर अपने हृदय में विशेष रूप से सुखी हुए। समस्त मुनि वृन्द श्री राम जी की स्तुति कर रहे है और कह रहे है – शरणागत हितकारी, करुणाकन्द प्रभु की जय हो।
3- फिर रघुनाथ जी आगे वन में चले। श्रेष्ठ मुनि के बहुत से समूह उनके साथ हो लिए। हड्डियों का ढेर देखकर श्री रघुनाथ जी को बहुत दया आयी। उन्होंने मुनियो से पूछा।
4- मुनियो ने कहा – हे प्रभु! आप सर्वदर्शी और अन्तर्यामी सबके हृदय की जानने वाले है और जानते हुए भी अनजान की तरह हमसे कैसे पूछते है?
राक्षसों के दल ने सब मुनियो को खा लिया है। यह सब उनकी ढेर है। यह सुनते ही श्री रघुवीर के नेत्र में करुणा का जल भर आया।
9- दोहा का अर्थ-
श्री राम जी भुजा उठाकर प्रण किया कि मैं पृथ्वी को राक्षसों से हीन कर दूंगा। फिर समस्त मुनियो के आश्रमों में जाकर उनको दर्शन और सम्भाषण का सुख प्रदान किया।
चौपाई का अर्थ-
1- मुनि अगस्त्य जी के एक सुतीक्ष्ण नामक सुजान शिष्य थे उनकी भगवान में प्रीति थी। वह मन, वचन और कर्म से श्री राम जी के चरण सेवक थे। उन्हें स्वप्न में भी किसी दूसरे देवता का भरोसा नहीं था।
2- उन्होंने ज्यों ही अपने श्रवन से प्रभु का आगमन सुन पाया त्यों ही अनेक प्रकार के मनोरथ करते हुए वह आतुर होते हुए शीघ्रता से दौड़ चले। हे विधाता! क्या दीनबंधु रघुनाथ जी मुझ जैसे दुष्ट पर भी दया करेंगे?
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