नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Utkarsh Shrivastav Novel in Hindi Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Utkarsh Shrivastav Novel in Hindi Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से Yashpal Ki Kahaniyan Pdf कर सकते हैं।
Utkarsh Shrivastav Novel in Hindi Pdf Download




Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।
यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।
सिर्फ पढ़ने के लिए
प्रताप कुछ कहता उसके पहले ही निशा बोल उठी – यह कोमल है हमारे घर की देखभाल करती है तथा हमारे घर की ही एक सदस्य है और यह छोटी सी बच्ची सरिता इनकी ही लड़की है तथा हम लोगो से ही ज्यादा घुल-मिल गयी है। घुराज ने कुछ कहना चाहा तो निशा ने कहा – चाचा आप कोमल की जुबान से सुन ले तो बेहतर होगा।
कोमल ने पूरा कहानी बताना शुरू कर दिया कि कैसे वह अपने पति के द्वारा प्रताड़ित होने पर भी उसके साथ रहती थी लेकिन एक सड़क दुर्घटना में उसका पति परलोक वासी हो गया तब उसके सामने गुजरा करने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा था।
वह भीख मांगने निकल पड़ी साथ में छोटी सी एक दो महीने की सरिता थी उसे पालने के लिए यक्ष प्रश्न था। समय की मार से मैं बहुत दुखी हो गयी थी और एक रोज मैं भीख मांग रही थी तभी डा. भारती भगवान के रूप में इनकी निगाह हमारे ऊपर पड़ गयी और इन्होने हमे और सरिता को अपने घर लाया और हम दोनों की खूब सेवा किया।
तभी हम आपके सामने बैठे है और यह विपिन जी तो एक बड़े भाई से भी ज्यादा हम दोनों का ख्याल रखते है। इतना ही नहीं डा. निशा जी सरोज नाम से एक क्लनिक चलाती है और हमारे जैसे अन्य लोगो की निःस्वार्थ ही सेवा करती है। तभी निशा बोली चाचा मुझे भगवान का यह फैसला भी स्वीकार है शायद हमारे पूर्व के कर्मो का फल है।
लेकिन निराश नहीं हूँ शायद भगवान ने इसे अवसर बदलने के लिए ही प्रेरणा दे दिया नहीं तो दीन दुखी की सेवा कैसे हो सकती थी? तभी पीछे से आवाज आयी कि आप तो बहुत ही महान है दीदी? सभी लोग पीछे देखने लगे तो विवेक, नरेश, सुधीर और रजनी स्कूल से आकर खड़े होकर बातें सुन रहे थे।
विवेक सोनकर और नरेश प्रजापति दोनों इस साल दसवीं में थे और दोनों ही बहुत मेहनत करते थे ताकी कही पढ़ाई में चूक न होने पावे अन्यथा एक साल का समय बर्बाद होना निश्चित था। धीरे-धीरे परीक्षा का समय नजदीक आ रहा था। सुधीर छठवीं कक्षा में तो रजनी सातवीं कक्षा में थी।
उन दोनों की भी परीक्षा होनी थी लेकिन विवेक और नरेश के बाद सुधीर को इसकी जरा भी फ़िक्र नहीं थी वह तो बस एक सपना देखता था कि बड़ा होकर खिलौने की कम्पनी खड़ी करनी है जिसमे कई लोगो को रोजगार मिल सके और मैं भी आत्मनिर्भर बन सकूँ।
वह प्रायः ही रजनी के साथ लाभ और हानि की बातें किया करता था। पढ़ाई के प्रति उसका रुझान कम ही था। ऊपर से उसे रजनी का साथ भी मिल गया था दोनों की सोच भी मिलती थी लेकिन दोनों इतने भी लापरवाह नहीं थे पढ़ाई के प्रति कि फेल हो जाए।
मित्रों यह पोस्ट Utkarsh Shrivastav Novel in Hindi Pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Utkarsh Shrivastav Novel in Hindi Pdf Download की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करें और इसे शेयर भी करें।