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Urvashi Ramdhari Singh Dinkar Pdf Hindi
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सिर्फ पढ़ने के लिये
वे भय से अधीर हो बेसुध हो रहे थे। उन्होंने स्वजन वत्सल देवाधिदेव भगवान विष्णु को प्रणाम किया और उनकी स्तुति करके कहा दक्ष बोले – देवदेव! हरे! विष्णो! दीनबन्धो!! कृपानिधे! आपको मेरी और मेरे यज्ञ की रक्षा करनी चाहिए। प्रभो! आप ही यज्ञ के रक्षक है यज्ञ ही आपका कर्म है और आप यज्ञस्वरूप है।
आपको ऐसी कृपा करनी चाहिए जिससे यज्ञ का विनाश न हो। ब्रह्मा जी कहते है – मुनीश्वर! इस तरह अनेक प्रकार से सादर प्रार्थना करके दक्ष भगवान श्रीहरि के चरणों में गिर पड़े। उनका चित्त भय से व्याकुल रहा था। तब जिनके मन में घबराहट आ गयी थी।
उन प्रजापति दक्ष को उठाकर उनकी पूर्वोक्त बात सुनकर भगवान विष्णु ने देवाधिदेव शिव का स्मरण किया। अपने प्रभु एवं महान ऐश्वर्य से युक्त परमेश्वर शिव का स्मरण करके शिव तत्व के ज्ञाता श्रीहरि दक्ष को समझाते हुए बोले – दक्ष! मैं तुमसे तत्व की बात बता रहा हूँ। तुम मेरी बात ध्यान देकर सुनो।
मेरा यह वचन तुम्हारे लिए सर्वथा हितकर तथा महामंत्र के समान सुखदायक होगा। दक्ष! तुम्हे तत्व का ज्ञान नहीं है। इसलिए तुमने सबके अधिपति परमात्मा शंकर की अवहेलना की है। ईश्वर की अवहेलना से सारा कार्य सर्वथा निष्फल हो जाता है।
केवल इतना ही नहीं पग-पगपर विपत्ति भी आती है। जहां अपूज्य पुरुषो की पूजा होती है और पूजनीय पुरुष की पूजा नहीं की जाती वहां दरिद्रता मृत्यु तथा भय ये तीन संकट अवश्य प्राप्त होंगे। इसलिए सम्पूर्ण प्रयत्न से तुम्हे भगवान वृषभध्वज का सम्मान करना चाहिए।
महेश्वर का अपमान करने से ही तुम्हारे ऊपर महान भय उपस्थित हुआ है। हम सब लोग प्रभु होते हुए भी आज तुम्हारी दुर्नीति के कारण जो संकट आया है उसे टालने में समर्थ नहीं है। यह मैं तुमसे सच्ची बात कहता हूँ। ब्रह्मा जी कहते है – नारद! भगवान विष्णु का यह वचन सुनकर दक्ष चिंता में डूब गए।
उनके चेहरे का रंग उड़ गया और वे चुपचाप पृथ्वी पर खड़े रह गए। इसी समय भगवान रूद्र के भेजे हुए गणनायक वीरभद्र अपनी सेना के साथ यज्ञस्थल में जा पहुंचे। वे सब के सब बड़े शूरवीर निर्भय तथा रूद्र के समान ही पराक्रमी थे। भगवान शंकर की आज्ञा से आये हुए उन गणो की गणना असंभव थी।
वे वीर शिरोमणि रूद्र सैनिक जोर-जोर से सिंहनाद करने लगे। उनके उस महानद से तीनो लोक गूंज उठे। आकाश धूल से ढंक गया और दिशाए अंधकार से आवृत्त हो गयी। सातो द्वीपों से युक्त पृथ्वी अत्यंत भय से व्याकुल हो पर्वत वन और काननों सहित कंपनी लगी तथा सम्पूर्ण समुद्रो में ज्वार आ गया।
इस प्रकार समस्त लोको का विनाश करने में समर्थ उस विशाल सेना को देखकर समस्त देवता आदि चकित हो गए। सेना के उद्योग को देख दक्ष भयभीत हो गया। वे अपनी स्त्री को साथ ले भगवान विष्णु के चरणों में दंड की भांति गिर पड़े और इस प्रकार बोले।
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