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Swami Vivekanand Books In Hindi
पुस्तक का नाम | व्यक्तित्व का विकास |
पुस्तक के लेखक | स्वामी विवेकानंद |
पुस्तक की भाषा | हिंदी |
श्रेणी | व्यक्तित्व विकास |
फॉर्मेट | |
साइज | 2 Mb |
कुल पृष्ठ | 80 |
व्यक्तित्व का विकास – स्वामी विवेकानन्द Pdf Download

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सिर्फ पढ़ने के लिए
फिर एक रावण को सहस्रबाहु ने देखा और उसने दौड़कर उसको एक प्रकार का विशेष जंतु समझकर पकड़ लिया। तमाशे के लिए वह उसे घर ले आया। तब पुलत्स्य ने जाकर उसे छुड़ाया।
24- दोहा का अर्थ-
एक रावण की बात कहने में मुझे बहुत ही संकोच होता है – वह बहुत दिनों तक बालि की कांख में रहा था। इनमे से तुम कौन से रावण हो? खीझना छोड़कर सत्य कहो।
चौपाई का अर्थ-
रावण ने कहा – सुन, मैं वही बलवान रावण हूँ जिसकी भुजाओ की लीला कैलाश पर्वत जानता है। जिसकी शूरता उमापति महादेव जी जानते है। जिन्हे अपनी सिर रूपी पुष्प अर्पित करके मैंने पूजा था।
सिर रूपी कमल को अपने हाथो से उतारकर मैंने अनेक बार त्रिपुरारी शिव की पूजा की है। मेरी भुजाओ का पराक्रम दिग्पाल जानते है।
जब-जब मैं उनसे जबरदस्ती भिड़ा उनके भयानक दांत मेरी छाती में अपना चिन्ह भी नहीं बना सके बल्कि मेरी छाती से लगते ही वह मूली की भांति टूट गए।
जिसके चलते समय पृथ्वी इस प्रकार हिलती है जैसे मतवाले हाथी के चढ़ते समय छोटी नाव! मैं वही जगतप्रसिद्ध रावण हूँ। अरे झूठी बकवास करने वाले! क्या तूने अपने श्रवण से मुझको कभी नहीं सुना।
25- दोहा का अर्थ-
उस महान प्रतापी जगत प्रसिद्ध रावण को तू छोटा कहता है और मनुष्य की बड़ाई करता है? अरे तुच्छ बंदर! अब मैंने तेरा ज्ञान जान लिया।
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