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Suspense Novel in Hindi free Download
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किड्स स्टोरी इन हिंदी न्यू
श्री कान्हा के चमत्कार और लीलाओं के बारे में भला कौन नहीं जानता है। वह सर्वशक्तिमान थे। उन्होंने दुष्टों को मारने के लिए कई लीलाएं रचीं। उन्ही में से एक लीला के कारण उन्हें रणछोड़ कहा गया। आज इस पोस्ट में हम उसी लीला के बारे में जिक्र करने जा रहे हैं।
एक बार मगधराज जरासंध ने भगवान् श्रीकृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। जरासंध भगवान् श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था। जरासंध ने युद्ध में अपने साथ यवन देश के राजा कालयवन को नहीं साथ ले लिया।
कालयवन को भगवान् शिव से यह वरदान था कि उसे कोई भी सूर्यवंशी या चंद्रवंशी नहीं मार सकता है और ना ही युद्ध में हरा सकता है। कालयवन को ताकत से भी मारा नहीं जा सकता था।
इस वरदान के कारण वह निर्दयी हो गया था। उसे इसका घमंड हो गया था। जरासंध के कहने पर उसने मथुरा पर आक्रमण कर दिया। भगवान् श्रीकृष्ण उसे प्राप्त वरदान के बारे में जानते थे, इसलिए वे रणभूमि छोड़कर वहाँ से भाग निकले हुए एक अँधेरी गुफा में आ गए।
भगवान श्रीकृष्ण जिस गुफा में छिपे थे, उसमें पहले से ही इक्ष्वाकु नरेश मांधाता के पुत्र और दक्षिण कोसल के राजा मुचकुन्द गहरी नीद में सोये हुए थे।
दरअसल, उन्होंने असुरों के साथ युद्ध करके देवताओं को जीत दिलाई थी और लगातार कई दिनों तक युद्ध करने के कारण वे काफी थक गए थे। इसलिए भगवान इंद्र ने उनसे सोने का आग्रह किया और उन्हें वरदान दिया कि जो कोई भी उन्हें नींद से जगायेगा वह जलकर भस्म हो जाएगा।
राजा मुचकुन्द को मिले इस वर की बात भगवान श्रीकृष्ण को पता थी और इसीलिए वे कालयवन को अपने पीछे उस गुफा तक लाये। उसके बाद कालयवन को भ्रमित करने के लिए अपना पीताम्बर राजा मुचकुन्द के ऊपर डाल दिया।
राजा को देखकर कालयवन को लगा कि श्रीकृष्ण डरकर इस अंधेरी गुफा में सो गए हैं। ऐसा समझकर उसने राजा मुचकुन्द को एक जोरदार लात मारी। राजा की नीद टूट गयी और वे उठ गए। उनके उठते ही कालयवन जलकर भस्म हो गया।
Moral – इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी बड़े कार्य को पूरा करने के लिए दो कदम पीछे भी हटना पड़े तो हट जाना चाहिए।
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