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भ्रमर गीत सार Pdf / Surdas Bhramar Geet Sar PDF

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भ्रमर श्रपनी रसलोलुपता के लिए सर्वेबिदित है अतः साहित्य में “अ्रमर’ नित नई नवेली से रगरेलियाँ मनाने वाले पुरुष के लिए प्रयुक्त होता रहा है। साहित्यकार अपनी अभिव्यवित को सशवत और सजीव बनाने के लिए प्राय प्रतीको का आश्रय लेता है।

 

 

 

इस सम्बन्ध मे यह दृष्टव्य है कि कवि अ्रथवा साहित्यकार इन प्रतीको का प्रयोग किसी चमत्कार की सृष्टि करने अथवा उक्ति- बैचित्य उत्तन्त करने के लिए नहीं करता अपितु इन प्रतीकों की सहायता बहुधा ऐसे अश्रवसरों पर ली जाती है जब हमारी भाषा पु और अ्रशक्त-सी बन कर मौन धारण करने लगती है।

 

 

 

और जब अनुभवकर्ता के विविध भाव पत्थरों से चतुदिक टकराने वाले स्रोतों की भाँति फूट निकलने के लिए मचलने से लग जाते है। ऐसी दशा मे हम उनकी यथेष्ट श्रभिव्यक्ति के लिए उनके साम्य की खोज अपने जीवन के विभिन्‍न अनुभवों में करने लगते है और जिस किसी को उपयुक्त पाते है।

 

 

 

उसका प्रयोग कर उसके मार्ग द्वारा अपनी भाव- घारा को प्रवाहित कर देते है।) साहित्य के क्षेत्र मे भ्रमर का प्रयोग एक ऐसे ही प्रतीक के रूप में होता रहा है भारत का इतिहास इस बात का साक्षी है कि वदिक युग में नारी को जो समानता का अधिकार प्राप्त था।

 

 

 

समय के साथ-साथ पुरुष उस समानता के अ्रधिकार का श्रपहरण करता रहा और इस सुदीर्घ कथा का चरमोत्कपं सम्भवत, वहाँ हुआ जहाँ नारी, पुरुष के श्रविश्वास पूर्ण खिलवाड़ का आधार बन कर रह गई । पुरुष निरन्तर नारी की – भावनाओं के साथ खेलता रहा।

 

 

 

उसके सुकोमल हृदय की एक निष्ठता के बदले मे छलावा देना ही अपना परम- धर्म मानता रहा । पुरुष की इसी रसलोलुपता की अ्रभिव्यक्ति-के लिए कवियों ते भ्रमर शोर कली के माध्यम से नारी-पुरुष के सम्बन्धों की व्याख्या करनी प्रारम्भ की।

 

 

 

स्वभावत. कली नारी का प्रतीक बन गईं और इस प्रकार कवि की कल्पना का सस्प्श पाकर निर॑न्तर पुरुष की बेवफाई से ग्रस्त नारी की अन्तर्वेदना साकार हो गई । भ्रमर श्रौर कली के प्रतीक द्वारा पुरुष को उपा- लम्भ देने का प्रयास सस्कृत के मंहाकवि कालिदास ने सर्वप्रथम किया था ।

 

 

 

कवि कालिदास ने राजा दुष्यन्त की पहली रानी हसपदिका के मुख से पहली बार अमर-विपयक उवित का प्रयोग किया है। इसके पश्चात गोवर्घन, विकट- नितम्बा आदि सस्कृत कवियों ने श्रमर-विपप्रक उक्तियों के प्रयोग द्वारा पुरुष की रसलोलुपता के प्रति उपालम्भ दिए हैं ।

 

 

 

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पुस्तक का नाम  Surdas Bhramar Geet Sar PDF
पुस्तक के लेखक  सूरदास 
भाषा  हिंदी 
साइज  27.6 Mb 
पृष्ठ  724 
श्रेणी  काव्य 
फॉर्मेट  Pdf 

 

 

 

 

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