मित्रों इस पोस्ट में Sunderkand Padhane ke Fayade बताये गए हैं, आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें और आप यहां से सुंदरकांड फ्री डाउनलोड कर सकते हैं।
Sunderkand Padhane ke Fayade सुंदरकांड पढ़ने के फायदे
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भगवान हनुमान जी को कलयुग का एक मात्र जीवित देव माना जाता है। कहा जाता है कि भक्ति भाव से बजरंगबली की पूजा करने से वे जल्द ही अपने भक्तो पर प्रसन्न होते है और उसके सारे दुखो का निवारण कर देते है। इसीलिए हनुमान जी को संकट मोचन कहा गया है। आज हम आपको सुंदरकांड के कुछ फायदे बता रहे है —
1- अगर साढ़ेसाती का प्रकोप है तो शनिवार के दिन सुंदरकांड और हनुमान चालीसा पढ़ने से बहुत लाभ होता है।
2- सुंदरकांड नियमित पढ़ने से मन को शांति मिलती है।
3- अगर आपका काम बार-बार बिगड़ जा रहा हो तो आपको हर मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए और साथ ही हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए।
4- सुंदरकांड पढ़ने से दुश्मनो का नाश होता है।
5- सुंदरकांड का पाठ करने से धन, वैभव, मान-सम्मान की वृद्धि होती है।
सुंदरकांड का नाम सुंदरकांड क्यों पड़ा ?
तुलसीकृत रामायण के अनुसार जब बजरंगबली सीता माता की खोज के लिए लंका गए तो उनकी भेट सुंदर पर्वत पर स्थित अशोक वाटिका में माता सीता जी से हुई इसी कारण इस कांड का नाम सुंदरकांड पड़ा।
सुंदरकांड के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
1- आखिर शुभ अवसरों पर “सुंदरकांड” का ही पाठ क्यों किया जाता है ?
किसी भी शुभ अवसर पर सुंदरकांड के पाठ का बहुत ही महत्वपूर्ण अर्थ है। सुंदरकांड के पाठ से परेशानियों का अंत हो जाता है और आत्म विश्वास बढ़ता है। जिससे कार्य आसानी से पूर्ण हो जाता है।
2- सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से क्यों किया जाता है ?
कहा जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से बजरंगबली बहुत जल्द प्रसन्न होते है और जल्द ही कष्टों को दूर कर देते है।
3- सुंदरकांड के पाठ से आत्मविश्वास बढ़ता है।
रामचरित मानस के सुंदरकांड में श्री हनुमान जी की महिमा का वर्णन है। इसमें बताया गया है कि किस तरह से बजरंगबली ने माता सीता की खोज की। इसीलिए किसी कार्य को शुरू करने के पहले सुंदरकांड का पाठ करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और कार्य जल्द ही संपन्न हो जाता है।
सुंदरकांड के तीन महत्वपूर्ण सम्पुट और उनके अर्थ
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
हृदया राखि कोसलपुर राजा।।
अर्थ – अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र को हृदय में ध्यान रखते हुए नगर में (किसी कार्य को) प्रारम्भ कीजिए आपको सफलता मिलेगी।
राम राम तेहि सुमिरन कीन्हा।
हृदय हरषि कपि सज्जन चीन्हा।।
एहि सन सठि करिहऊँ पहिचानी।
साधु ते होइ न कारज जानी।।
जैसे ही वे जाने तो “राम-राम” का स्मरण किया। इससे हनुमान जी को समझने में देर नहीं लगी कि ये कोई सत्पुरुष है और ऐसे धर्मात्मा के हाथ से कोई हानि नहीं होती है।
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