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Sunderkand Book Pdf Hindi / सुंदरकांड पीडीऍफ़
सुंदरकांड हिंदी में पीडीऍफ़ डाउनलोड

सिर्फ पढ़ने के लिये
तब शिव जी सभी देवगणो को समझाया कि तुम लोग आश्चर्य को छोड़कर हृदय में विचारो कि यह भगवान की महिमामयी निज शक्ति (सीता जी) का और ब्रह्माण्ड के परम ईश्वर भगवान श्री राम जी का विवाह है।
चौपाई का अर्थ-
1- जिनका नाम लेते ही जगत के सारे अमंगल की जड़ ही कट जाती है और चारो पदार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष मुट्ठी में आ जाते है। काम के शत्रु शिव जी ने कहा – वह तो वही जगत के माता-पिता श्री सीता राम जी है।
2- इस प्रकार शिव जी ने सभी देवताओ को समझाया और अपने श्रेष्ठ बैल नंदीश्वर को आगे बढ़ाया, देवता लोगो ने देखा कि दशरथ जी मन में बहुत प्रसन्न होकर पुलकित शरीर से चले जा रहे है।
3- उनके साथ परम हर्ष युक्त साधुओ और ब्राह्मणो की मंडली ऐसे शोभा पा रही है, मानो सभी प्रकार के सुख शरीर धारण करके उनकी सेवा कर रहे हो, और चारो पुत्र उनके साथ में ऐसे सुशोभित है मानो चारो मोक्ष, सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य, सायुज्य, शरीर धारण किए हो।
4- मरकतमणि और सुवर्ण रंग की जोड़ियों को देखकर देवताओ को बहुत ही प्रीति हुई, फिर श्री राम जी को देखकर वह हृदय में बहुत हर्षित हुए और राजा की सराहना करते हुए फूल बरसाने लगे।
315- दोहा का अर्थ-
श्री राम जी के नख शिख सुंदर रूप को देखकर बार-बार श्री पार्वती के साथ शिव जी का शरीर पुलकित हो रहा है और उनके नेत्र प्रेमाश्रुओं से भर गए।
चौपाई का अर्थ-
1- श्री राम जी का मोर के रंग जैसा हरिताभ श्याम शरीर है और सुंदर पीले रंग के वस्त्र है जिसके सामने बिजली का सौंदर्य भी कम से कमतर है और उनके शरीर पर विवाह के सुंदर मंगलमय आभूषण सजे हुए है।
2- उनका सुंदर मुख तो शरद पूर्णिमा के समान और उनके मनोहर नेत्र देखकर नए कमल को भी लज्जा आ रही है और सारी सुंदरत अलौकिक सच्चिदानंदमयी है। वह किसी भी प्रकार से कहने योग्य नहीं है। वह मन ही मन बहुत ही प्रिय लगती है।
3- साथ में मनोहर रूप से सभी भाई है जो चंचल घोड़ो को नचाते हुए चल रहे है। राजकुमार श्रेष्ठ घोड़ो की चाल दिखा रहे है और मागध लोग वंश की प्रसंशा करते हुए विरुदावली सुना रहे है।
4- जिस घोड़े पर श्री राम जी विराजमान है, उसकी तेज चाल को देखकर गरुड़ को भी लज्जा हो रही है। उसका वर्णन नहीं हो सकता है, वह सब प्रकार से सुंदर है, मानो कामदेव स्वयं ही घोड़े का रूप धारण किया हुआ है।
छंद का अर्थ-
श्री राम जी के लिए कामदेव मानो स्वयं ही घोड़े का रूप बनाकर अत्यंत शोभित हो रहा है। वह अपनी अवस्था बल, रूप, गुण, चाल से सभी लोक को विमोहित कर रहा है।
उसकी सुंदर जीन में सुंदर मोती, मणि और माणिक्य लगे हुए है और सुंदर जड़ाऊ जीन ज्योति से जगमगा रही है। उसकी सुंदर ललित लगाम में घुंघरू लगे हुए देखकर देवता, मनुष्य और मुनियो का मन ठगा रह जाता है
316- दोहा का अर्थ-
प्रभु की इच्छा को अपने मन में लीन किए हुए चलता हुआ वह घोडा बहुत ही शोभायमान हो रहा है। मानो तारागण तथा बिजली से अलंकृत मेघ सुंदर मोर को नचा रहा है।
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