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Sumitra Nandan Pant Poems In Hindi Pdf / सुमित्रा नंदन पंत हिंदी पोयम्स

मित्रों इस पोस्ट में Sumitra Nandan Pant Poems In Hindi Pdf दिया जा रहा है। आप नीचे की लिंक से Sumitra Nandan Pant Poems In Hindi Pdf Download कर सकते हैं।

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Sumitra Nandan Pant Poems In Hindi Pdf  सुमित्रा नंदन पंत हिंदी पोयम्स 

 

 

 

 

 

1- सुमित्रा नंदन पंत की कविता 

 

2- अमिट निशानी 

 

 

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Sumitra Nandan Pant Poems In Hindi Pdf
Sumitra Nandan Pant Poems In Hindi Pdf
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3- रजत शिखर 

 

4- पौ फटने से पहले 

 

5- युगांत 

 

 

 

सुमित्रा नंदन पंत के बारे में 

 

 

सुमित्रा नंदन पंत हिंदी काव्य साहित्य के अप्रतिम कवियों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते है। इन्होने कविता के द्वारा हिंदी साहित्य की अमूल्य सेवा किया। इनका व्यक्तित्व भी बहुत आकर्षण था। गौर वर्ण के ऊपर घुंघराले बाल इनकी शोभा में सौंदर्य की वृद्धि करते थे।

 

 

 

 

इन्हे हिंदी साहित्य का सुकुमार कवि भी कहा जाता है। इनका जन्म वागेश्वर जिले के कौसानी नामक ग्राम में 20 मई 1900 को हुआ था। इनके जन्म के 6 घंटे बाद ही इनकी माता ने इनका साथ छोड़कर स्वर्गारोहण कर गई। यह अपने पिता की 8वी संतान थे। इनका लालन-पोषण इनकी दादी ने किया।

 

 

 

इनका बचपन का नाम गोसाई दत्त था। 1910 में इन्होने अल्मोड़ा से हाईस्कूल की परीक्षा पास की और अल्मोड़ा में ही इन्होने अपना नाम बदलकर सुमित्रा नंदन पंत रख लिया था। अपने मंझले भाई के साथ 1918 में काशी आकर स्विंस कॉलेज में पढ़ाई किया और वही से ही हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण किया।

 

 

 

इन्होने इलाहबाद में पढ़ने के दौरान ही 1921 में गांधी जी के संपर्क में आ गए और उस समय गांधी जी ने सभी भारतीयों से अंग्रेजो द्वारा स्थापित स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई नहीं करने का आह्वान किया था। जिससे प्रेरित होकर पंत जी ने अपनी पढ़ाई को विराम दे दिया और अपने गृह में ही अपनी सभी प्रकार की शिक्षा का अध्ययन शुरू किया।

 

 

 

1938 में उन्होंने ‘रूपाभ’ नामक पत्रिका का सम्पादन किया। 1950 से 1957 तक आकाशवाणी के परामर्श दाता रहे। इनकी कविताओं का संकलन ‘चिदंबरा’ 1958 में युगवाणी से ‘वाणी’ काव्य संग्रह के प्रतिनिधि के रूप में हुई थी। 1960 में ‘कला और बूढ़ा चांद’ काव्य संग्रह के लिए पंत जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।

 

 

 

‘चिदंबरा’ के लिए उन्हें 1968 में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। पंत जी ने जीवन पर्यन्त साहित्य की अनवरत सेवा में संलग्न रहे। अविवाहित पंत जी के हृदय में नारी और प्रकृति के लिए अथाह सौंदर्य हिलोरे मारता था। हिंदी साहित्य का यह अलौकिक आलोकित प्रकाश पुंज 28 सितंबर 1977 को सदा के लिए अस्त हो गया।

 

 

 

 

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