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Sukh Sagar pdf Hindi Download
पुस्तक का नाम | Sukh Sagar Bhagawat Puran Pdf |
पुस्तक के लेखक | बाबु माखनलाल खत्री |
फॉर्मेट | |
साइज | 158.2 Mb |
पृष्ठ | 905 |
भाषा | हिंदी |
श्रेणी | धार्मिक |
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सिर्फ पढ़ने के लिये
ऐसे नीच मनुष्य सत्ययुग और त्रेता में नहीं होते। द्वापर में थोड़े से होंगे और कलयुग में तो इनका अपार समूह होगा। हे भाई! दूसरों की भलाई के समान कोई धर्म नहीं है और दूसरों को दुःख पहुंचाने के समान कोई पाप नहीं है। हे तात! समस्त वेद और पुराणों का निर्णय और निश्चित सिद्धांत मैंने तुमसे कहा इस बात को पंडित लोग जानते है। मनुष्य का शरीर धारण करके जो लोग दूसरों को दुःख पहुंचाते है। उनको जन्म-मृत्यु के महासंकट सहने पड़ते है।
धर्म रूपी तालाब में ज्ञान-विज्ञान यह अनेक प्रकार के कमल खिल उठे। सुख, संतोष, वैराग्य और विवेक यह अनेक चकवे शोक रहित हो गए। यह श्री राम प्रताप रूपी सूर्य जिसके हृदय में प्रकाश करता है तब जिनका वर्णन पीछे किया गया है। वह धर्म, ज्ञान, विज्ञान, सुख, संतोष, वैराग्य और विवेक बढ़ जाते है और जिनका वर्णन पहले किया गया है। वह अविद्या, पाप, काम, क्रोध, कर्म, काल, गुण, स्वभाव आदि नष्ट हो जाते है।
एक बार भाइयो सहित श्री राम जी परम प्रिय हनुमान जी को साथ लेकर सुंदर उपवन देखने गए। वहां के सब वृक्ष फूले हुए और नए पत्तो से युक्त थे। सुअवसर जानकर सनकादिक मुनि आये जो तेज के पुंज सुंदर गुण और शील से युक्त और सदा ब्रह्मानंद में लवलीन रहते है। देखने में तो वह बालक लगते प्रतीत होते है लेकिन वह समय के है।
मानो चारो वेद ही बालक रूप धारण किए हो। वह मुनि समदर्शी और भेद रहित है। दिशाए ही उनके वस्त्र है। उनका एक ही व्यसन है जहां श्री रघुनाथ जी के चरित्र की कथा होती है वहां जाकर वह उसे अवश्य ही सुनते है। शिव जी कहते है – हे भवानी! सनकादि मुनि वहां गए थे जहां ज्ञानी मुनि अगत्स्य जी रहते थे।
श्रेष्ठ मुनि ने श्री राम जी की बहुत सी कथाये वर्णन की थी। जो ज्ञान उत्पन्न करने में उसी प्रकार से समर्थ है जैसे अरणिकी लकड़ी से की उत्पत्ति होती है। सनकादि मुनियो को आते देखकर श्री राम जी ने हर्षित होकर दंडवत किया और स्वागत पूछकर प्रभु ने उनके बैठने के लिए अपना पीतांबर बिछा दिया।
फिर हनुमान जी सहित तीनो भाईयो ने दंडवत किया सबको बहुत सुख हुआ। मुनि श्री राम जी की अतुलनीय छवि देखकर उसमे मग्न हो गए। वह मन में रोक न सके। वह जन्म-मृत्यु के चक्र से छुड़ाने वाले, श्याम शरीर, कमल नयन, सुंदरता के धाम श्री राम जी को एकटक देखते ही रह गए उनकी पलके नहीं गिरती है। प्रभु हाथ जोड़कर सिर नवा रहे है।
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