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Shiva Mantra In Hindi Pdf / शिव मंत्र इन हिंदी पीडीएफ
शिव मंत्र इन हिंदी Pdf Download

महा मृत्युंजय मंत्र Pdf Download
सिर्फ पढ़ने के लिए
3- अतः आप आश्रम को पधारिये, इतना कहकर मुनिराज स्नेह से शिथिल हो गए। तब श्री राम जी प्रणाम करके चले गए और ऋषि वशिष्ठ जी धीरज रखकर जनक जी पास आये।
4- गुरु जी ने श्री राम जी का शील और स्नेह से युक्त और सुंदर स्वभाव का वचन राजा जनक जी को सुनाया और कहा – हे महाराज! अब वही कीजिए जिसमे सबका धर्म सहित हित हो।
291- दोहा का अर्थ-
हे राजन! तुम ज्ञान के भंडार, सुजान, पवित्र और धर्म में धीर हो। इस समय तुम्हारे बिना इस दुविधा को दूर करने में और कौन समर्थ है?
चौपाई का अर्थ-
1- मुनि वशिष्ठ जी के वचन सुनकर जनक प्रेम में मग्न हो गए। उनकी दशा देखकर ज्ञान और वैराग्य को भी वैराग्य हो गया उनके ज्ञान वैराग्य छूट गए। वह प्रेम से शिथिल होकर मन में विचार करने लगे कि हम यहां आये यह अच्छा नहीं किया।
2- राजा दशरथ जी ने श्री राम जी को वन जाने के लिए कहा और स्वयं अपने प्रिय के प्रेम को प्रमाणित (सच्चा) कर दिया और अपने प्रिय के वियोग में प्राण त्याग दिए।
परन्तु अब हम इन्हे वन से और गहन वन में भेजकर अपने विवेक की बड़ाई में आनंदित होकर लौटेंगे कि हमारे भीतर जरा भी मोह नही है कि श्री राम को वन में छोड़कर चले आये। हमे तो दशरथ जी की तरह चले जाना चाहिए था।
3- तपस्वी, मुनि और ब्राह्मण यह सब सुनकर और देखकर प्रेमवश बहुत ही व्याकुल हो गए। समय का विचार करके राजा जनक जी धीरज रखकर समाज के साथ भरत जी के पास चले।
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