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Shiv Tandav Stotram Pdf in Hindi / शिव तांडव स्तोत्र Pdf

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Shiv Tandav Stotram Pdf दे रहे हैं। आप नीचे की लिंक से शिव तांडव स्तोत्र हिंदी पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते हैं।

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Shiv Tandav Stotram Pdf Hindi / रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र pdf

 

 

 

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Shiv Tandav Stotram Pdf in Hindi
शिव तांडव स्तोत्र pdf download
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शिव तांडव के बारे में 

 

 

 

तांडव का अर्थ है क्रोध करना या फिर उग्र होना शिव तांडव का अर्थ है शिव का उग्र रूप धारण करना। शिव को औढरदानी कहा जाता है वह प्रसन्न होने पर अपने भक्तो की प्रत्येक इच्छा को पूर्ण करने की क्षमता रखते है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण राक्षसपति रावण है।

 

 

 

महादेव जी ने प्रसन्न होने पर उसे स्वर्ण लंका के साथ ही अमरत्व का वरदान भी दे दिया ऐसे बहुत से उदाहरण है जब शिव ने प्रसन्न होकर अपने भक्तो की इच्छा पूर्ण कर दिया। स्वछन्द क्रिया कलाप को भी तांडव कहा जाता है। राक्षस राज ने अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए तांडव स्तोत्र की रचना किया था।

 

 

 

शिव तांडव स्तोत्र से लाभ

 

 

 

नित्य प्रति शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से वाणी की सिद्धि प्राप्त हो जाती है। शिव तांडव का पाठ करने से व्यक्ति के भीतर का आत्मबल जागृत हो जाता है तथा कभी धन सम्पत्ति का क्षय नहीं होता। शिव तांडव का पाठ प्रतिदिन करने से शिव की सदैव कृपा बनी रहती है। शिव तांडव का पाठ करने से लेखन, योग, समाधि तथा चित्रकला आदि कार्यो में लाभ प्राप्त होता है। इसके पाठ से शनि राहु तथा केतु दोष का निवारण होता है।

 

 

 

शिव तांडव स्तोत्र की रचना

 

 

 

गणेश तांडव, भैरव तांडव तथा भगवतानन्द द्वारा रचित श्री राघवेंद्र रचितम में श्री राम तांडव स्तोत्र का उल्लेख मिलता है। प्रायः सभी राक्षस राज रावण द्वारा रचित शिव तांडव को प्रमुख जानते है। इसके अलावा आदि शंकराचार्य द्वारा रचित (महिषासुरमर्दिनी संकटा स्तोत्र) जिसे दुर्गा तांडव कहा जाता है उसका भी उल्लेख मिलता है।

 

 

 

तांडव के प्रवर्तक

 

 

 

शिव जी को ही तांडव का प्रवर्तक माना जाता है इसका उल्लेख शत्रु में भी हुआ है। आगम तथा अन्य काव्य ग्रंथो में श्री राम, भैरव तथा दुर्गा तांडव का भी उल्लेख प्राप्त होता है।

 

 

शिव तांडव स्तोत्र के पाठ करने की विधि

 

 

 

इसका पाठ प्रातः काल या प्रदोष काल में करना उत्तम माना गया है। शिव जी की मूर्ति के समक्ष उनकी पूजा करने के बाद ही इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है। पाठ के पूर्ण होने पर शिव जी का ध्यान करने के बाद फिर उसके बाद आरती करते हुए पूजा समाप्त करनी चाहिए। इस स्तोत्र को उच्चस्वर में भी किया जा सकता है।

 

 

 

शिव तांडव के फायदे 

 

 

अब हम आपको Shiv Tandav Stotra के फायदे बताने जा रहे है। कही-कही शिव तांडव स्तोत्र को रावण स्तोत्र भी कहा जाता है। इसमें रावण ने 17 श्लोको के माध्यम से भगवान शंकर की स्तुति गायी है।

 

 

 

जब एक बार रावण ने अहंकार में आकर कैलाश पर्वत को उठाने की चेष्टा की, तब भगवान भोलेनाथ ने अपने अगूंठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया और इससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया और तब पीड़ा में रावण ने शिव तांडव स्तुति का गान किया। आइये अब शिव तांडव स्तोत्र के फायदे जानते है।

 

 

 

1- नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र के पाठ से धन की कमी नहीं रहती है।

2- इस पाठ को पढ़ने से चेहरे पर तेज आता है और आत्मबल मिलता है।

3- इस पाठ से सारी मनोकामना पूर्ण होती है।

4- इस पाठ से शनिदेव की साढ़ेसाती में भी लाभ मिलता है।

5- इस पाठ से काल सर्प दोष, सर्पयोग और पितृ दोष में शांति मिलती है।

 

 

 

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