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Shatabdi Panchang Pdf / शताब्दी पंचांग पीडीऍफ़

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सिर्फ पढ़ने के लिये
चिट्ठी सुनकर दोनों भाई पुलकित हो गए, स्नेह तो इतना बढ़ गया था कि वह शरीर में नहीं समाता था। भरत जी का पवित्र प्रेम देखकर सारी सभा ने सुख पाया।
2- तब राजा ने दूतो को अपने पास बैठाकर मीठे वचन कहे – भैया कहो हमारे दोनों पुत्र सकुशल तो है? तुमने अपनी आँखों से उन्हें अच्छी तरह से देखा है न?
3- सांवले और गोर शरीर वाले धनु और तरकस धारण किए रहते है, किशोर अवस्था के है, विश्वामित्र मुनि के साथ है। तुम उनको पहचानते हो तो उनका स्वभाव बताओ, राजा विशेष प्रेम के वशीभूत होने से ही बार-बार ऐसा कहते और पूछते है।
4- जिस दिन से मुनि उन्हें लिवाकर गए है, भैया! तब से आज ही सच्ची खबर हमे मिली है। कहो तो महाराज जनक ने उन्हें कैसे पहचाना? यह प्रेम से भरे प्रिय वचन सुनकर दूत मुसकराये।
291- दोहा का अर्थ-
दूतो ने कहा – हे राजाओ के मुकुट मणि! सुनिए, आपके समान कोई धन्य नहीं है। जिनके राम लक्ष्मण जैसे पुत्र है, वह दोनों ही विश्व के विभूषण है।
चौपाई का अर्थ-
1- हे राजन! आपके पुत्रो का वर्णन नहीं किया जा सकता है, वह रूपी सिंह, तीनो लोको को प्रकाशित करने वाले है, तीनो लोको में उजियारा करने वाले है। जिसके यश और प्रताप के सामने चन्द्रमा मलिन और सूर्य शीतल लगता है।
2- हे नाथ! आप उनके लिए कहते है कि उन्हें कैसे पहचाना क्या सूर्य को देखने के लिए हाथो में दीपक की जरूरत होती है? वहां सीता के स्वयंवर में अनेक योद्धाओ के साथ ही एक से बढ़कर एक योद्धा आये हुए थे।
फिर जिन्होंने श्री राम जी के विरह में अपना क्षण भंगुर शरीर त्याग दिया, ऐसे राजा के लिए सोच करने वाला कौन सा प्रसंग है? सोच तो इस बात का है कि – श्री राम, लक्ष्मण और सीता जी नंगे पैर मुनि का वेश धारण करके जंगल में फिरते है।
211- दोहा का अर्थ-
वह वल्कल वस्त्र पहनते है। फल का भोजन करते है, पृथ्वी पर कुश और पत्ते बिछाकर सोते है और वृक्षों के नीचे निवास करते है और नित्य ही सर्दी, गर्मी, वर्षा और हवा सहते है।
चौपाई का अर्थ-
1- इस दुःख के दर्द से मेरी छाती निरंतर दुखी हो रही है। मुझे न दिन में भूख लगती है न रात में नींद आती है। मैंने मन में समस्त विश्व को ढूंढा लेकिन इस कुरोग की औषधि कही नहीं है।
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