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Shabar Mantra Sangrah Bhag 8 Pdf / शाबर मंत्र संग्रह भाग 8 पीडीएफ
शाबर मंत्र संग्रह भाग 8 Pdf Download

शाबर तंत्र शास्त्र Pdf Download
सिर्फ पढ़ने के लिए
ज्यों ही रावण सभा में जाकर बैठा तो उसे खबर प्राप्त हुई कि शत्रु की सेना समुद्र उस पार आ गयी है। उसने मंत्रियों से पूछा – कि अब क्या करना चाहिए?
तब वह सब हँसते हुए बोले कि चुप रहिए इसमें सलाह की कौन सी बात है। आपने देवताओ और राक्षसों को जीत लिया तब तो कुछ श्रम ही नहीं हुआ। फिर मनुष्य और वानर किस गिनती में है।
37- दोहा का अर्थ-
मंत्री, वैद्य और गुरु यह तीनो अप्रसन्नता के भय या लाभ की आशा से हित की बात न कहकर प्रिय बोलते है। ठकुर सुहाती कहने लगते है तो क्रमशः राज्य, शरीर और धर्म इन तीनो का शीघ्र नाश हो जाता है।
चौपाई का अर्थ-
रावण के लिए भी वही सहायता और संयोग आ बना था। मंत्री उसे सुनाकर उसके मुंह पर स्तुति करते है। उसी समय अवसर जानकर विभीषण जी आये। उन्होंने बड़े भाई के चरणों में सिर नवाया।
फिर वह अपने आसन पर सिर नवाकर बैठ गए और आज्ञा मिलने पर वचन बोले – हे कृपालु! जब आपने मुझसे राय पूछी है तो हे तात! मैं अपनी बुद्धि के अनुसार ही आपके हित की बात कहता हूँ।
जो मनुष्य अपना कल्याण, सुंदर यश, सुबुद्धि, शुभ गति और नाना प्रकार का सुख चाहता हो वह हे स्वामी! परस्त्री के ललाट को चौथ के चन्द्रमा की तरह त्याग दे। अर्थात जैसे लोग चौथ के चन्द्रमा को नहीं देखते है उसी प्रकार ही पर स्त्री का मुख नही देखना चाहिए।
चौदह भुवन का एक ही स्वामी हो, वह भी जीवो से बैर करके ठहर नहीं सकता नष्ट हो जाता है। जो मनुष्य गुण का समुद्र और चतुर हो उसे थोड़ा लोभ होने पर भी कोई भला नहीं कहता है।
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