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Shabar Tantra Shastra Pdf / शाबर तंत्र शास्त्र पीडीएफ



सिर्फ पढ़ने के लिए
दिशाओ के हाथी चिंघाड़ने लगे, पृथ्वी डोलने लगी, पर्वत चंचल होकर कांपने लगे और समुद्र खलबला उठे। गंधर्व, देवता, मुनि, नाग, किन्नर सब के सब मन में हर्षित हुए कि अब हमारे दुःख टल गए।
अनेक और कोटिक भयानक वानर योद्धा कटकटा रहे है और कोटिक ही दौड़ रहे है। ‘प्रबल प्रताप कोशलनाथ की जय हो’ ऐसा कहते हुए वह उनके गुण का गान कर रहे है।
उदार सर्पराज शेष जी उस सेना का भार नहीं सह सकते है। वह बार-बार मोहित होकर घबड़ा जाते है और पुनः कच्छप की कठोर पीठ को दांतो से पकड़ते है।
ऐसा करते हुए वह किस प्रकार शोभायमान होते है मानो श्री राम जी की परम सुंदर प्रस्थान यात्रा को सुहावनी जानकर उसकी अचल पवित्र कथा को सर्पराज शेष जी कच्छप की पीठ पर लिख रहे हो।
35- दोहा का अर्थ-
इस प्रकार कृपानिधान श्री राम जी समुद्र के तट पर जा उतरे। अनेको रीछ वानर वीर जहां-तहां फल खाने लगे।
चौपाई का अर्थ-
वहां लंका में जब से हनुमान जी विध्वंस करके गए है तब से राक्षस भयभीत रहने लगे। अपने घरो में सब विचार करते है कि अब राक्षस कुल की रक्षा का कोई उपाय नहीं है।
जिसके दूत का बल वर्णन नहीं किया जा सकता उसके स्वयं नगर में आने पर कौन भलाई है। हम लोगो की बहुत बुरी दुर्दशा होगी? दूतो से नगरवासियो के वचन सुनकर मंदोदरी बहुत ही व्याकुल हो उठी।
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