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Shabar Mantra Sangrah Bhag 13 Pdf / शाबर मंत्र संग्रह भाग 13 पीडीएफ
शाबर मंत्र संग्रह भाग 13 Pdf Download

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सिर्फ पढ़ने के लिए
वह हाथ जोड़कर पति के चरणों से लगी और नीति रस में भींगी हुई वाणी बोली – हे प्रियतम! श्री हरि से विरोध छोड़ दीजिए। मेरा कहना मानकर और अत्यंत हितकर जानकर हृदय में धारण कीजिए।
जिनके दूत की करनी का स्मरण करते ही सब लोग डर जाते है। हे स्वामी! यदि भला चाहते है तो अपने मंत्री को बुलाकर उसके साथ उनकी पत्नी को भेज दीजिए।
सीता आपके कुलरूपी कमल के वन को दुःख देने वाली जाड़े की रात्रि के समान आयी है। हे नाथ! सुनिए, सीता को लौटाए बिना शंभु और ब्रह्मा भी आपका भला नहीं कर सकते है।
36- दोहा का अर्थ-
श्री राम जी सर्पो के समूह के समान है और राक्षसों के समूह मेढ़क के समान। जब तक वह इन्हे ग्रस नहीं लेते तब तक हठ छोड़कर उपाय कर लीजिए।
चौपाई का अर्थ-
मुर्ख और जगत प्रसिद्ध रावण उसकी वाणी सुनकर खूब हंसा और बोला – स्त्रियों का स्वभाव सचमुच बहुत सभय होता है। मंगल में भी भय करती हो। तुम्हारा हृदय बहुत ही कमजोर है।
यदि वानरों की सेना आएगी तो बेचारे राक्षस उसे खाकर अपना जीवन निर्वाह करेंगे। लोकपाल भी जिसके डर से कांपते है उसकी स्त्री भयभीत हो यह बड़ी हंसी की बात है।
रावण ऐसा कहते हुए हंसकर उसे अपने हृदय से लगा लिया और अधिक स्नेह बढ़ाकर वह सभा में चला गया। मंदोदरी अपने हृदय में चिंता करने लगी कि पति के ऊपर विधाता प्रतिकूल हो गए है।
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