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Sanskrit Sukti Sangrah PDF Free Download
संस्कृत-सूक्ति-संग्रह’ नाम का यह (द्वितीय संशोधित) संकलन विश्व- विद्यालय के विद्याथिओं के अनिवार्य सामान्य संस्कृत’ के पाद्य-ग्रन्थ के रूप मे प्रस्तुत किया जा रहा है। इस संकलन में संस्कृत के पद्च और गद्य दोनो का स्थान है । संस्कृत के कवि भिन्न-भिन्न प्रकार के चरितों के चित्रण, भिन्न- भिन्न प्रकार के लोक-जीवन के आदर्शों के निरूपण, भिन्न-भिन्न प्रकार के सनोभावों के प्रकाशन-एक शब्द में, जीवन के सभी क्षेत्रों और विषयों पर बहुत कुछ लिख चके हैं।
यह सब भारत की सभ्यता और संस्कृति की प्राचीन निधि है । इस निधि का उपयोग भारत की आज तक प्रचलित सभी स्थानीय और प्रान्तीय भाषायें करती आ रही हैं। युग पलटते रहेंगे किन्तु जब तक यह निधि सुरक्षित है तब तक ऐसा संभव नहीं कि भारत का प्राचीन ऐतिहासिक अस्तित्व नष्ट हो जाय ।
संस्कृत भाषा एक ऐसी ज्योति है जो अब तक नष्ट नहीं हुई, समय के उललठ-फेर में कुछ क्षीण भले ही हो गयी हो । इस ज्योति के लुप्त हो जाने पर भारतीय जीवन की २००० वर्षो की ऐतिहासिक कड़ियाँ दूँढने में नहीं मिलेंगी । आज संस्कृत के पढ़ने-पढ़ाने की जो आवश्यकतायें हैं।
उनमें सबसे पहली आवश्यकता ‘भारत की’ सांस्कृतिक निधि की रक्षा’ है। यह सांस्कृतिक निधि की रक्षा’ आधुनिक भारतीय साहित्य की ‘रचता के लिये अत्यावश्यक है। आज से २०-२२ शताब्दियों पहले व्याकरण’ के पढ़ने-पढ़ाने की आवश्यकता की समस्या इस देश में उठ खड़ी हुई थी और इसका समाधान यह बताया गया था कि यदि “व्याकरण” न पढ़ा-पढ़ाया गया तो ‘वेद-वाड्मय’ नष्ट हो जायेगा।
आज यही समस्या संस्कृत के पढ़ने-पढ़ाने की आवश्यकता’ के रूप में उठ खड़ी हुई है और इसका समाधान ‘भारतीय जीवन की प्राचीन कड़िओं की रक्षा’ बताया जा रहा है। आज भारत में संस्कृत की रक्षा का महत्व आत्मरक्षा’ का महत्व है और “आत्मरक्षा’ सब से बड़ा कत्तव्य है, इसे ‘परमों धर्म: सावना चाहिये।
आज भारत के सभी स्वरों के शिक्षणालयों में संस्कृत का कुछ न कुछ स्थान और महत्त्व दिखाई दे रहा है । भीतरी और बाहरी परिस्थितियों ने हमें आत्मरक्षा’ के लिये उत्साहित और उत्तेजित कर रखा है। जब तक हम अपने आपको बचावेंगे नहीं तब तक आगे बढ़ेगे नहीं।
“अनिवार्य सामान्य संस्कृत’ इसी उद्देश्य से इस प्रान्त के पूर्व और उत्तर माध्यमिक विद्यालयों तथा विश्वविद्यालय की प्रारम्भिक कला-कक्षाओं में एक पाठ्य- विषय के रूप में निर्धारित है। अमी तो यह बीज रूप में ही है। यदि यह बीज सुरक्षित रहा तो इसके अडकुर अवश्य निकलेंगे।
Sanskrit Sukti Sangrah PDF Download
पुस्तक का नाम | Sanskrit Sukti Sangrah PDF |
पुस्तक के लेखक | सत्यव्रत सिंह |
भाषा | हिंदी |
साइज | 1 Mb |
पृष्ठ | 55 |
श्रेणी | साहित्य |
फॉर्मेट |
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