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Rudrashtadhyayi Pdf Free
रुद्री पाठ Pdf
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥
सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥
Rudrabhishek Mantra Pdf Download
पुस्तक का नाम | रुद्राष्टाध्यायी pdf |
पुस्तक के लेखक | गीता प्रेस |
पुस्तक की साइज | 12.72 MB |
कुल पृष्ठ | 229 |
फॉर्मेट | |
श्रेणी | भक्ति, धार्मिक |
पुस्तक की भाषा | संस्कृत, हिंदी |
लघु रुद्राभिषेक मंत्र Pdf Download
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Laghu Rudrabhishek mantra Pdf / लघु रुद्राभिषेक मंत्र pdf
लघु रुद्राभिषेक करते समय जल, दूध, पंचामृत, आमरस, गन्ने का रस, नारियल का जल के साथ ही पवित्र गंगा जल के साथ रुद्रष्टाध्यायी के मंत्रो का उच्चारण करते हुए उपरोक्त सामाग्री से अभिषेक करने पर मनुष्य की समस्त कामनाओ की पूर्ति संभव होती है और प्रयाण काल में उसे परम गति की अधिकारी बनाती है।
रुद्राष्टाध्यायी और उसके आठ पाठ का महत्व
1- इसके प्रथम अध्याय को शिव संकल्प सूक्त कहा जाता है। यह गणेश जी को समर्पित होता है। इस अध्याय में गणेश जी के प्रसिद्ध मंत्र का उल्लेख रहता है। इसे करने वाले साधक का विचार और मन शुद्ध और शुभ होना चाहिए।
2- इसके द्वितीय अध्याय में भगवान विष्णु की आराधना का विधान है क्योंकि शिव और विष्णु एक दूसरे के पूरक है। इसमें सोलह (16) मंत्र है जिन्हे पुरुष सूक्त कहा जाता है और इसके प्रधान देवता विराट पुरुष है इसमें सभी देवताओ के पूजन का विधान है तथा इसी अध्याय में महालक्ष्मी मंत्र का भी वर्णन प्राप्त होता है।
3- रुद्राष्टाध्यायी के तृतीय अध्याय को अप्रतिरथ सूक्त कहा जाता है इसके देवता इंद्र है। इसमें वर्णित मंत्रो की उपासना से शत्रुओ पर विजय प्राप्त होती है।
4- रुद्राष्टाध्यायी के चौथे अध्याय में भगवान सूर्य की स्तुति के साथ सुंदर वर्णन मिलता है और इसे मैत्र सूक्त के नाम से प्रतिष्ठित किया गया है इसके प्रधान देवता भी सूर्य नारायण है।
5- पांचवे अध्याय में शतरुद्रिय रुद्रसूक्त या रुद्राध्याय का वर्णन प्राप्त होता है। शतरुद्रिय में भगवान शिव के सौ या उससे अधिक नामो का उल्लेख प्राप्त होता है और उसके द्वारा ही रुद्रदेव की स्तुति की गयी है और इसका उल्लेख यजुर्वेद में है।
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