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Romantic Novels In Hindi Pdf Free Download
1- एक लड़का और एक लड़की की कहानी
2- अनकहे अहसास
5- अपराधिनी
8- चारुचित्रा
10- गाँव की बेटी
11- चोर की प्रेमिका
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Humari Adhuri Mulakatein हमारी अधूरी मुलाकाते
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Offline Girlfriend: Dil Dhoondhta Hai
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Waada: Mere Jeevan Aur Meri Patni Ki Prem Kahani
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गरीब का क्रिसमस Hindi Kahani
जॉन और मारिया का जीवन आराम से व्यतीत हो रहा था। उन दोनों की एक लड़की थी। जिसका नाम रूबी था। रूबी जन्म से ही अंधी थी फिर भी जॉन और मारिया खुश थे।
एक दिन मारिया बीमार पड़ गई। जॉन ने उसकी बहुत दवा किया लेकिन मारिया ठीक नहीं हुई और अंततः जॉन और रूबी को छोड़कर बहुत दूर चली गई। जहां से कोई वापस नहीं आता।
अब जॉन रूबी की देखभाल करने लगा। वह पिता के साथ ही माता का कर्तव्य भी निर्वहन करने लगा। कई लोगो ने उसे दूसरा व्याह करने के लिए कहा लेकिन जॉन ने यह सोचकर मना कर दिया कि अपने सुख आराम के लिए वह रूबी को दुःख नहीं दे सकता।
उसे मालूम था कि सौतेली मां के आने के बाद रूबी की तकलीफ बढ़ जाएगी। जॉन जिस कंपनी में काम करता था उसका सेठ जॉन की मजबूरी समझता था।
जॉन के देर से आने पर भी वह उसे कुछ नहीं कहता था। सेठ का लड़का विलायत से पढ़कर आया था। वह अब अपने पिता की कंपनी संभालने लगा।
जॉन के देर से आने पर उसे डांटता था। वह जॉन की मजबूरी को एक बहाना समझता था। एक दिन सेठ के लड़के ने जॉन को देर से आने पर नौकरी से निकाल दिया और बोला, “तुम देर से आते हो और पूरा पैसा लेते हो इसलिए मैं तुम्हे नौकरी पर नहीं रख सकता हूँ।”
जॉन ने सेठ के लड़के से अपनी मजबूरी बताई लेकिन उसने जॉन की एक नहीं सुनी और उसे नौकरी से निकाल ही दिया। दो दिन बाद ही क्रिसमस का त्यौहार था। यह सोचकर जॉन बहुत उदास हो गया था क्योंकि पिछले बार क्रिसमस पर उसने रूबी के लिए एक सुंदर फ्राक लाने का वादा किया था।
लेकिन जब बाजार में फ्राक लेने के लिए जॉन गया तो उसके 300 रुपये किसी ने चुरा लिए थे और इसबार क्रिसमस के समय ही उसकी नौकरी चली गई।
वह उदास होकर घर आया तो रूबी से उसकी उदासी छिपी नहीं रह सकी। वह जन्मांध और विकलांग होते हुए भी अपने पिता की उदासी को परख लिया था।
रूबी अपने पिता के पास आकर बोली, “पिताजी आज कितनी तरीख है ?”
जॉन बोला, “आज तेईस तारीख है।”
रूबी ने कहा, “आज के दो दिन बाद ही क्रिसमस का त्यौहार है। मैं आपकी मजबूरी समझती हूँ। हमे क्रिसमस पर कुछ भी नहीं चाहिए।”
लेकिन जॉन बहुत दुखी था क्योंकि वह अपनी बेटी के लिए कुछ भी खरीदने की स्थिति में नहीं था। शाम को दूसरे दिन जॉन बाजार में गया त्यौहार की रौनक बाजार में भरपूर दिख रही थी।
तभी एकाएक शोर गुल होने लगा। लोग चोर-चोर कहते हुए एक आदमी के पीछे दौड़ रहे थे। जॉन एक जगह खड़ा हो गया। उसी क्षण एक आदमी उसके पास एक बैग गिराकर भाग गया था।
तभी उस कंपनी का मालिक का लड़का और अन्य लोग उसके पास आ गए। कंपनी मालिक का लड़का जॉन को देखकर बोला, “मैंने तुम्हे कंपनी से निकाल दिया था इसलिए तुम हमारी ही बैग चोरी करने लगे।”
सभी लोगो ने पुलिस को बुलाया और जॉन को पुलिस के हवाले कर दिया। जॉन अपनी सफाई दे रहा था कि वह चोर नहीं है। लेकिन पुलिस ने उसे पीटते हुए जेल में बंद कर दिया।
जब पुलिस इंस्पेक्टर ने जॉन से पूछा कि तुमने चोरी क्यों किया। तब जॉन अपनी अंधी और विकलांग लड़की की कसम खाते हुए कहा कि वह एकदम बेकसूर है।
इंस्पेक्टर कहने लगा सभी लोग के सामने ही तुम्हे रंगे हाथ पकड़ा गया है फिर भी तुम खुद को बेकसूर कहते हो। जॉन ने कहा, “साहब, कभी-कभी सामने देखा हुआ दृश्य भी झूठा हो जाता है।”
इधर अपने पिता को घर आया हुआ न पाकर रूबी खुद ही उन्हें ढूंढने के लिए घर से निकल जाती है। वह बेचारी अंधी और विकलांग केवल अपने पिता का नाम लेकर पुकार रही थी।
शाम को इंस्पेक्टर अपनी गाड़ी से घर जा रहा था। रास्ते में एक नेत्रहीन और विकलांग लड़की को देखकर उसके पास आकर रुक गया। उसने रूबी से पूछा, “तुम कहां जा रही हो ?”
रूबी ने कहा, “मैं अपने पिता को ढूंढने जा रही हूँ। वह कल से बाजार गए और अभी तक वापस नहीं लौटे है।”
इंस्पेक्टर ने रूबी से पूछा, “क्या नाम है तुम्हारे पिता का ?”
रूबी ने कहा, “हमारे पिता का नाम जॉन है।”
तभी इंस्पेक्टर के दिमांग में जॉन के द्वारा कहा वाक्य गूंजने लगा कि मैं अपनी अंधी और विकलांग लड़की की कसम खाता हूँ कि मैं चोर नहीं हूँ।
इंस्पेक्टर ने रूबी को अपनी गाड़ी बैठाया और थाने आ गया। जेल के अंदर जाकर जॉन को छोड़ने का आदेश दिया। जॉन डर गया था कि इंस्पेक्टर उसे फिर मारेगा।
जॉन को डरते देखकर इंस्पेक्टर ने कहा, “जॉन तुम डरो मत हम तुम्हे नहीं मारेंगे।”
कभी-कभी कानून भी धोखा खा जाता है। हम तुम्हे क्रिसमस का उपहार देने आए है। इंस्पेक्टर ने रूबी को सामने कर दिया। अपनी बेटी को सामने देखकर जॉन उससे लिपटकर रोने लगा। इंस्पेक्टर ने जॉन से कहा, “क्या तुम गाड़ी चला सकते हो ?”
जॉन बोला, “हां।”
इंस्पेक्टर ने उसे अपनी सिफारिस पर थाने की गाड़ी चलाने की नौकरी दिलवा दिया। अब जॉन और उसकी बेटी रूबी दोनों बहुत खुश थे। जॉन को कही भी नौकरी तो मिल नहीं रही थी। इंस्पेक्टर ‘सांताक्लॉज’ बन गया था जॉन के लिए।
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