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Rogi Swayam Chikitsak Pdf
पुस्तक का नाम | रोगी स्वयं चिकित्सक |
पुस्तक के लेखक | राजीव दीक्षित |
भाषा | हिंदी |
श्रेणी | चिकित्सा, स्वास्थ्य |
फॉर्मेट | |
साइज | 3.80 Mb |
कुल पृष्ठ | 130 |


सिर्फ पढ़ने के लिए
हे सुयोग्य युवराज! हम लोग सीता को ढूंढे बिना नहीं लौटेंगे। ऐसा कहकर लवण सागर के तट पर जाकर सब वानर कुश बिछाकर बैठ गए।
जांबवान ने अंगद का दुःख देखकर विशेष उपदेश की कथाये कही। वह बोले – हे तात! श्री राम जी को मनुष्य न मानो उन्हें निर्गुण ब्रह्म अजेय और अजन्मा समझो। हम सब सेवक अत्यंत ही बड़भागी है जो निरंतर सगुण ब्रह्म श्री राम जी में प्रीति रखते है।
26- दोहा का अर्थ-
देवता, पृथ्वी, गौ और ब्राह्मणो के लिए प्रभु अपनी इच्छा से अवतार लेते है। वहां सगुणो पासक सब प्रकार से मोक्ष को त्यागकर उनकी सेवा में साथ रहते है।
चौपाई का अर्थ-
इस प्रकार जांबवान बहुत प्रकार से कथाये कह रहे है। इनकी बाते पर्वत की कंदरा में सम्पाती ने सुनी। बाहर निकलकर उसने तुरंत वानर देखे। तब वह बोला – जगदीश्वर ने मुझको घर बैठे ही बहुत से कमजोर आदमियों को भेजा है।
आज इन सबको दूसरे धाम पहुंचाऊंगा । बहुत दिन से जाने के लिए कोई नहीं आ रहा है कभी इतने आदमी नहीं मिले परलोक जाने के लिए। आज एक बार में ही विधाता ने बहुत आदमियों को भेज दिया है।
गीध के वचन सुनते ही सब डर गए कि अब तो सचमुच ही परलोक जाना तय हो गया यह हमने जान लिया। फिर उस सम्पाती गीध को देखकर सब वानर उठ खड़े हो गए। जांबवान के मन में विशेष सोच हुआ।
अंगद ने अपने मन में विचार कहा – अहा! जटायु के समान धन्य कोई नहीं है। श्री राम जी के कार्य के लिए शरीर छोड़कर वह परम बड़भागी भगवान के परम धाम को चला गया।
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