नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Rigved Mandal 10 Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Rigved Mandal 10 Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से मार्कण्डेय पुराण गीता प्रेस Pdf भी पढ़ सकते हैं।
Rigved Mandal 10 Pdf / ऋग्वेद मंडल 10 पीडीएफ



सिर्फ पढ़ने के लिये
छोटे भाई शत्रुघ्न समेत मुझे वन में भेज दीजिए और आप अयोध्या लौटकर सबको सनाथ कीजिए। यदि आप अयोध्या जाने को तैयार न हो तो किसी तरह भी हे नाथ! लक्ष्मण और शत्रुघ्न दोनों भाइयो को लौटा दीजिए और मैं आपके साथ चलूँ।
चौपाई का अर्थ-
1- अथवा हम तीनो भाई वन चले जाय और हे रघुनाथ जी! आप श्री सीता जी सहित अयोध्या को लौट जाइये। हे दयासागर! जिस प्रकार से प्रभु का मन प्रसन्न हो, वही कीजिए।
2- हे देव! आपने सारा भार मेरे ऊपर रख दिया। पर न तो मुझे नीति का विचार है न धर्म का। मैं तो अपने स्वार्थ के लिए सब बातें कह रहा हूँ। आर्त (दुखी) मनुष्य के हृदय में चेत (विवेक) नहीं रहता है।
3- स्वामी की आज्ञा सुनकर सो उत्तर दे, ऐसे सेवक को देखकर लज्जा को भी लाज आती है। मैं तो अवगुण का ऐसा अथाह समुद्र हूँ कि प्रभु को उत्तर दे रहा हूँ। किन्तु स्वामी आप स्नेह वश मुझे साधु कहकर सराहते है।
4- हे कृपालु! अब तो वही मत मुझे अच्छा लगता है। जिससे स्वामी का मन संकोच न पावे। प्रभु के चरणों की शपथ है। मैं सत्य भाव से कहता हूँ, जगत के कल्याण के लिए बस एक यही उपाय है।
269- दोहा का अर्थ-
प्रसन्न मन से तथा संकोच त्यागकर प्रभु जिसे जो आज्ञा देंगे उसे सब लोग सिर पर धारण करके उसका पालन करेंगे और सब उलझने मिट जायेंगी।
चौपाई का अर्थ-
1- भरत जी के पवित्र वचन सुनकर देवता हर्षित हुए और साधु-साधु करके सराहना करते हुए देवताओ ने फूल बरसाए। अयोध्यावासी असमंजस में पड़ गए कि देखे श्री राम जी अब क्या कहते है। तपस्वी तथा वनवासी लोग श्री राम जी को वन में रहने की आशा से मन में परम आनंदित हुए।
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