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Rigved In Hindi Pdf / ऋग्वेद इन हिंदी पीडीएफ

सिर्फ पढ़ने के लिए
2- कहिए, उस श्रेष्ठ प्रेम को कौन प्रकट करे? कवि की बुद्धि किसकी छाया का अनुसरण करे? कवि को तो अक्षर और अर्थ का ही सच्चा बल है। ताल की गति के अनुसरण की नत नाचता है।
3- भरत जी और रघुनाथ जी का प्रेम अगम्य जहां ब्रह्मा, विष्णु और महादेव का मन भी पहुंच सकता है। उस प्रेम को मैं कुबुद्धि किस प्रकार से कहूं।
4- भरत जी और श्री राम जी के मिलने का ढंग देखकर देवता भयभीत हो गए और उनकी धड़कन धक-धक करके धड़कने लगी। देवगुरु बृहस्पति जी ने समझाया तब कही उन लोगो को चेत हुआ और फूल बरसाकर प्रसंशा करने लगे।
241- दोहा का अर्थ-
फिर श्री राम जी शत्रुघ्न से प्रेम सहित मिलकर तब केवट निषाद राज से मिले। प्रणाम करते हुए लक्ष्मण जी से भरत जी बड़े प्रेम से मिले।
चौपाई का अर्थ-
1- तब लक्ष्मण जी बड़ी उमंग के साथ छोटे भाई शत्रुघ्न से मिले, फिर उन्होंने श्री राम जी को हृदय से लगा लिया। फिर भरत शत्रुघ्न दोनों भाई ने उपस्थित मुनियो को प्रणाम किया और इच्छित आशीर्वाद प्राप्त कर आनंदित हुए।
2- छोटे भाई शत्रुघ्न सहित भरत जी प्रेम में उमंग कर सीता जी के चरण कमल की रज सिर पर धारण कर बार-बार प्रणाम करने लगे। सीता जी ने उन्हें उठाकर उनके सिर को अपने कर कमल से स्पर्श कर उन दोनों को बैठाया।
3- सीता जी ने मन ही मन आशीर्वाद दिया क्योंकि वह स्नेह में मगन है उन्हें देह की सुध नहीं है। सीता जी को सब प्रकार से अपने अनुकूल देखकर भरत जी सोच रहित हो गए और उनके हृदय का कल्पित भय जाता रहा।
4- उस समय न तो कोई कुछ कहता है न कुछ पूछता है। मन प्रेम से परिपूर्ण है, वह अपनी गति से रहित है (अर्थात संकल्प, विकल्प और चांचल्य से शून्य है) उस अवसर पर केवट धीरज जोड़कर प्रणाम करते हुए विनती करने लगा।
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