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Rajiv Dixit Chiktsa Ayurveda Pdf / राजीव दीक्षित चिकित्सा आयुर्वेद पीडीएफ




सिर्फ पढ़ने के लिए
तब अंगद आदि वानरों को साथ लेकर और श्री राम जी के छोटे भाई लक्ष्मण जी को आगे करके सुग्रीव हर्षित होकर चले और जहां रघुनाथ जी थे वहां आये।
चौपाई का अर्थ-
श्री रघुनाथ जी के चरणों में सिर नवाकर हाथ जोड़कर सुग्रीव ने कहा – हे नाथ! मेरा कुछ भी दोष नहीं है। हे देव! आपकी माया ही अत्यंत प्रबल है। आप जब दया करते है – हे राम! तभी यह छूटती है।
हे स्वामी! देवता, मनुष्य और मुनि सभी विषयो के वश में है। फिर मैं पशु और पशुओ में भी अत्यंत बंदर हूँ और लोभ से अपना गला नहीं बंधाया।
हे रघुनाथ जी! वह मनुष्य आपके ही समान है। यह गुण साधन से नहीं मिलते है। आपकी कृपा से ही यह किसी-किसी को प्राप्त होता है।
तब श्री रघुनाथ जी मुसकराकर बोले – हे भाई! तुम मुझे भरत के समान ही प्रिय हो। अब मन लगाकर वही उपाय करो जिससे सीता की खबर मिले।
21- दोहा का अर्थ-
जब इस प्रकार से बात-चीत हो रही थी तभी वानरों के झुण्ड आ गए। अनेक रंग के वानरों के दल सब दिशाओ से दिखाई देने लगे।
चौपाई का अर्थ-
शिव जी कहते है कि हे उमा! वानरों की सेना मैंने देखी थी। उसकी जो गिनती करना चाहे वह महामूर्ख है। सब वानर आकर श्री राम जी के चरणों में मस्तक नवाते है और निधि श्री राम जी के श्री मुख का दर्शन करके कृतार्थ होते है।
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