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Rajhans Novel in Hindi Pdf Download



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सिर्फ पढ़ने के लिये
मटके से आवाज आयी – अवश्य ही कार्य होगा। अब मिलन अपने घर की रसोई में गया और साफ-सफाई करने लगा। उसे साफ सफाई करते हुए देखकर उसकी मां कजरी बोली – आज तुझे भोजन बनाने सूझ पड़ी है क्या? मिलन बोला – मां तू आज बोल तुझे कौन सा भोजन चाहिए वह अभी उपलब्ध हो जायेगा।
कजरी बोली – साधारण भोजन तो मिलते नहीं अच्छे भोजन की इच्छा करके क्या फायदा? मिलन कुछ नहीं बोला वह रसोई साफ करके वहां बर्तन रख दिया और साथ लाये हुए उस बेढंगे काले मटके के सामने तीन बार ताली बजाते हुए बोला – हमे तीन लोगो के लिए भोजन उपलब्ध होना चाहिए।
एक पल में ही रसोई में सारे बर्तन स्वादिष्ट भोजन से परिपूर्ण हो गए। कजरी ने मिलन को सिर्फ ताली बजाते हुए देखा उसके लिए वह काला मटका अदृश्य ही था। हरी प्रजापति घर आये वह बहुत खुश थे। उनके जीवन में इतनी कमाई कभी नहीं हुई थी।
रात्रि को भोजन करते समय हरी ने कजरी से पूछा – आज इतना स्वादिष्ट भोजन किसने बनाया है? कजरी बोली – यह सारा कार्य मिलन ने किया है। हरी बोले – मिलन भोजन तैयार कर लेता है क्या? कजरी ने हरी से कहा – मिलन के तीन बार ताली बजाने पर यह सारा भोजन तैयार हो गया।
मिलन का मकान एकदम जर्जर हो गया था। वह सोचने लगा इस मकान को फिर से बनाने के लिए काफी परिश्रम और पैसे की आवश्यकता पड़ेगी जो हमारे लिए संभव नहीं है। हमे उसे बेढंगे मटके से सहायता लेने का प्रयास करना चाहिए।
यही सोचकर मिलन तीन बार ताली बजाया वह बेढंगा काला मटका उसके पास ही पड़ा हुआ था उसमे से आवाज आयी – बोलो मिलन! क्या आवश्यकता है तुम्हे? मिलन ने कहा – सबसे पहले तुम मुझे अपना नाम बताओ। तुम्हारा नाम नहीं मालूम रहने से तुम्हारे साथ बात करने में हमे परेशानी होती है।
मटके से आवाज आयी – तुम मुझे मटके वाली परी कह सकते हो। मिलन बोला – यह भी कोई नाम है क्या? मटके वाली परी बोली – अच्छा तुम ही कोई नाम बताओ। तुम मुझे जो भी नाम प्रदान करोगे मुझे वह स्वीकार होगा। मिलन कुछ सोचते हुए बोला – मैं तुम्हे सुमन के नाम से पुकारूंगा।
मटके वाली परी बोली – तुम सिर्फ पढ़े लिखे नहीं हो लेकिन तुम्हारे सोचने की क्षमता विलक्षण है। तुम्हारा दिया हुआ यह नाम बहुत ही सुंदर है। मिलन बोला – सुमन! हमारा यह मकान जर्जर हो गया है क्या तुम इसे बना सकती हो? सुमन बोली – अवश्य ही यह कार्य हो जायेगा। कुछ समय के उपरांत मिलन के लिए एक सुंदर मकान बनकर तैयार हो गया था।
हरी और कजरी दोनों बहुत खुश थे। अब तो हरी की बड़ाई चारो तरफ होने लगी थी। प्रायः सभी लोग उनके पास सहायता के लिए आते रहते थे और कभी भी हरी के यहां से निराश होकर नहीं जाते थे।
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