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Raj Comics Pdf / राज कॉमिक्स Pdf
पुस्तक का नाम | Raj Comics Pdf |
पुस्तक के लेखक | राज कॉमिक्स |
भाषा | हिंदी |
श्रेणी | कॉमिक्स |
फॉर्मेट | |
साइज | 31.1 MB |
पृष्ठ | 52 |











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इस उत्तर से रचना और प्रिया दोनों हंसने लगी लेकिन रचना की हंसी बेजान थी। एक दिन ऑफिस में कार्य करते हुए कार्तिक रचना और प्रिया की फ़ाइल का निरीक्षण कर रहा था उसी समय प्रिया बोली कार्तिक जी आपके माता-पिता गांव से अभी आये नहीं है तो आपके लिए भोजन की व्यवस्था कहाँ से होती है।
कार्तिक बोला हमारी भोजन की समस्या भोजनालय से खत्म हो जाती है। आप कहे तो हम आपकी सहायता कर सकते है प्रिया कार्तिक से बोली थी।
रचना ने उसे चुप रहने का इशारा किया लेकिन वह कहाँ मानने वाली थी। कार्तिक बोला आप लोग हमारे भोजन की समस्या कैसे खत्म कर सकती है?
प्रिया बोली हर औरत जन्मजात ही व्यवस्थापक होती है वह अपनी जिम्मेदारी को पूर्ण करने के लिए उचित रूप से प्रबंध और व्यवस्था कर लेती है जिसका उदाहरण आप हम लोगो को देख रहे है प्रिया के इस अकाट्य तर्क से कार्तिक निरुत्तर हो गया था जबकि रचना को प्रिया का इतना बोलना बहुत ही खराब लग रहा था। उसे यह नहीं पता था कि प्रिया उसके लिए ही रास्ता तैयार कर रही है।
प्रभा बोली ठीक तो है जो अपना घर बनवा लेंगे क्योंकि यहां तो सभी के घर खंडहर बन चुके है। बिरजू बोला उन्होंने अपने घर के साथ-साथ हमारा भी घर बनवाने के लिए कह दिया है और जानती हो उन्होंने दोनों घर के लिए कितना बजट बनाया है।
प्रभा बोली जरा हमे भी तो बताओ उन्होंने कितना बजट बनाया है मैं इसलिए पूछ रही हूँ कि एक घर बनवाने में ही किसी को भी पसीना आ जाता है तो भी उन्होंने दो बनाने की की बात कही है। बिरजू बोला पराग भाई ने दो मकान बनाने के लिए पचास लाख का बजट रखा है।
अगर जरूरत पड़ी तो बजट और भी बढ़ा सकते है और इस सभी कार्य की जिम्मेदारी उन्होंने हमे ही सौप दिया है हमारे खेती और गाय के लिए कोई व्यवधान पैदा न होने पाए इसलिए उन्होंने मुझे अपने लिए एक नौकर भी रखने के लिए कह दिया है।
मैं आज ही अपने गांव के बगल से एक आदमी लेकर आऊंगा जो हमारी खेती और गाय की देखभाल करेगा। यह सब सुनकर प्रभा को विश्वास नहीं हो रहा था वह बोली यह तो किसी सपने जैसा लग रहा है।
बिरजू बोला अभी तो सपना है लेकिन यह जल्द ही सच्चाई बन जायेगा क्योंकि मैं अभी जाकर रामचरन राज मिस्त्री से मकान के ठेके को लेकर बात करूँगा और वह राज मिस्त्री रामचरन के पास चला गया।
लेकिन तुम हमारी मानती कहा हो। ठीक है आगे से ध्यान रखूंगी बाबा। उस लड़की का नाम अब कार्तिक के सामने जाहिर हो गया था। वह कुत्ते की मरहम पट्टी करने लगी। कार्तिक बोला – क्या आप डाक्टर है? नहीं, लड़की ने उत्तर दिया।
कार्तिक बोला – क्या आप बैंक मैनेजर है? लड़की ने हां कहा, क्या आप भिखारी बनकर भीख मांगती है अब तो इस हकीकत पर भी हां कहना पड़ा। लेकिन भिखारी और और भीख की असलियत पर रचना के चेहरे का रंग बदलने लगा।
कार्तिक बोला – आप मुझे जासूस मत समझिए हमारे पास इस कार्य के लिए समय नहीं है। आपका नाम तो उस महाशय ने बताया जिन्हे आपने बाबा कहा था। चार दिन पहले आपने जो कार्ड दिखाया था उसपर ही बैंक मैनेजर चितपुर ब्रांच लिखा हुआ था और आपसे सिग्नल पर मुलाकात एक भिखारी के रूप में हुई थी।
इतना कहते हुए कार्तिक वहां से अपनी कम्पनी के लिए चला गया। वहां पहुंचकर डा. भुवन मुखर्जी को फोन पर बताया कि वह घायल हो गया है।
डा. मुखर्जी तुरंत ही कार्तिक के कम्पनी में आकर उसकी मरहम पट्टी करने लगे। कार्तिक ने डा. भुवन मुखर्जी से पूछा – अंकल आप तो यही के रहने वाले है ना।
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