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Raj Bharti Ke Upanyas Pdf Free Download
पुस्तक का नाम | लंगड़ा प्रेत |
पुस्तक के लेखक | राज भारती |
पुस्तक की भाषा | हिंदी |
श्रेणी | उपन्यास, हॉरर |
फॉर्मेट | |
साइज | 32 Mb |
पृष्ठ | 190 |






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सिर्फ पढ़ने के लिये
हनुमान जी ने उसे बिना परिश्रम के ही उठा लिया और लंका दरवाजे पर रखकर लौट आये। उसका अंत सुनकर देवता और गंधर्व आदि विमानों पर चढ़कर आकाश में आये।
वह पुष्प बरसाकर दुंदुभी बजाने लगे और श्री रघुनाथ जी के निर्मल यश का गान करने लगे। हे अनंत! आपकी जय हो। हे जगदाधार! आपकी जय हो। हे प्रभो! आपने सब देवताओ का इस महान विपत्ति से उद्धार किया।
देवता और सिद्ध स्तुति करके चले गए। तब लक्ष्मण जी कृपा सागर श्री राम जी के पास आये। रावण ने ज्यों ही पुत्र के अंत का समाचार सुना त्यों ही वह मूर्छित होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा। मंदोदरी छाती पीटकर और बहुत पुकार करके बहुत विलाप करने लगी। नगर के सब लोग व्याकुल हो गए।
77- दोहा का अर्थ-
तब रावण ने सब स्त्रियों को अनेक प्रकार से समझाया कि समस्त जगत का यह दृश्य रूप नाशवान है ऐसा अपने हृदय में विचार करके देखो।
चौपाई का अर्थ-
रावण ने उनको ज्ञान का उपदेश किया। वह स्वयं तो बुरा है पर उसकी बाते शुभ और पवित्र है। दूसरों को उपदेश देने में तो बहुत से लोग निपुण होते है। जो उपदेश के अनुसार आचरण करते हो ऐसे लोग अधिक नहीं है।
रात बीत गयी सबेरा हुआ रीछ वानर फिर चारो दरवाजे पर आकर डट गए। योद्धाओ को बुलाकर दशमुख रावण ने कहा – लड़ाई में शत्रु सम्मुख जिसका मन डांवाडोल हो।
अच्छा है वह अभी पलायन कर जाय। युद्ध में जाकर पलायन करने में भलाई नहीं है। मैंने अपनी भुजाओ के बल पर ही बैर बढ़ाया है। जो शत्रु चढ़ आया है उसको मैं उत्तर दे लूंगा।
ऐसा कहकर उसने पवन के समान तीव्र गति वाला रथ सजाया। सारे जुझाऊ बाजा बजने लगे। तब अतुलनीय बलवान वीर ऐसे चले मानो काजल की आंधी चली हो। उस समय असंख्य अपशकुन होने लगे। पर अपनी भुजाओ के बल का बहुत गर्व होने से रावण उन्हें गिनता नहीं है।
छंद का अर्थ-
अत्यंत गर्व के कारण वह शकुन अपशकुन का विचार नहीं करता है। आयुध उसके हाथो से गिर रहे है। योद्धा रथ से गिर पड़ते है। घोड़े, हाथी साथ छोड़कर चिंघाड़ते हुए भाग जाते है। स्यार, गीध, कौवे और गदहे शब्द कर रहे है। कुत्ते बहुत अधिक बोल रहे है। उल्लू ऐसे अत्यंत भयानक शब्द कर रहे है मानो काल के दूत हो।
78- दोहा का अर्थ-
जो जीवो के द्रोह में रत है, मोह के वश में हो रहा है, राम से विमुख है,उसको क्या कभी स्वप्न में भी सम्पत्ति, शुभ शकुन और चित्त की शांति हो सकती है?
चौपाई का अर्थ-
राक्षसों की अपार सेना चली। चतुरंगिणी सेना की बहुत सी टुकड़ियां है। अनेक प्रकार के वाहन और सवारियां है तथा बहुत से रंगो की अनेको पताकाये और ध्वजाये है।
मतवाले हाथियों के बहुत से झुण्ड चले। मानो पवन से प्रेरित होकर वर्षा ऋतु के बादल हो। रंग बिरंगे बाना धारण करने वाले वीरो के समूह है जो युद्ध में बड़े ही शूरवीर है और बहुत प्रकार की माया जानते है।
अत्यंत विचित्र फ़ौज शोभित है। मानो वीर बसंत ने सेना सजाई हो। सेना के चलने से दिशाओ के हाथी डिगने लगे, समुद्र क्षुभित हो गए और पर्वत डगमगाने लगे।
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