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Rahu Kavach Pdf / राहु कवच पीडीएफ



Rahu Kavach in Hindi
श्रीगणेशाय नमः ॥
ॐ अस्य श्रीराहुकवचस्तोत्रमन्त्रस्य चन्द्रमा ऋषिः,
अनुष्टुप्छन्दः, रां बीजम्, नमः शक्तिः,
स्वाहा कीलकम्, राहुकृत पीडानिवारणार्थे, धनधान्य,
आयुरारोग्य आदि समृद्धि प्राप्तयर्थे जपे विनियोगः ॥
प्रणमामि सदा राहुं शूर्पाकारं किरीटिनम् ।
सैंहिकेयं करालास्यं लोकानामभयप्रदम् ॥ १॥
नीलाम्बरः शिरः पातु ललाटं लोकवन्दितः ।
चक्षुषी पातु मे राहुः श्रोत्रे त्वर्धशरीरवान् ॥ २॥
नासिकां मे धूम्रवर्णः शूलपाणिर्मुखं मम ।
जिह्वां मे सिंहिकासूनुः कण्ठं मे कठिनाङ्घ्रिकः ॥ ३॥
भुजङ्गेशो भुजौ पातु नीलमाल्याम्बरः करौ ।
पातु वक्षःस्थलं मन्त्री पातु कुक्षिं विधुन्तुदः ॥ ४॥
कटिं मे विकटः पातु ऊरू मे सुरपूजितः ।
स्वर्भानुर्जानुनी पातु जङ्घे मे पातु जाड्यहा ॥ ५॥
गुल्फौ ग्रहपतिः पातु पादौ मे भीषणाकृतिः ।
सर्वाण्यङ्गानि मे पातु नीलचन्दनभूषणः ॥ ६॥
राहोरिदं कवचमृद्धिदवस्तुदं यो
भक्त्या पठत्यनुदिनं नियतः शुचिः सन् ।
प्राप्नोति कीर्तिमतुलां श्रियमृद्धिमायु-
रारोग्यमात्मविजयं च हि तत्प्रसादात् ॥ ७॥
॥ इति श्रीमहाभारते धृतराष्ट्रसञ्जयसंवादे
द्रोणपर्वणि राहुकवचं सम्पूर्णम् ॥
सिर्फ पढ़ने के लिए
तब मारीच ने उसकी पूजा करके आदर पूर्वक बात पूछी – हे तात! आपका मन किस कारण इतना अधिक व्यग्र है और आप अकेले आये है?
चौपाई का अर्थ-
1- भाग्यहीन रावण ने सारी कथा अभिमान सहित उसके सामने कही और फिर बोला – तुम छल करने वाले कपट मृग बनो जिस उपाय से मैं राज बधू को हर लाऊं।
2- तब उस मारीच ने कहा – हे दसशीश! सुनिए, वह मनुष्य रूप में चराचर के ईश्वर है। हे तात! उनसे बैर न कीजिए। उनके हाथ से ही सबका मरना और जीवित होना रहता है। सबका जीवन मरण उन्ही के अधीन है।
3- यही राजकुमार मुनि विश्वामित्र की यज्ञ की रक्षा के लिए गए थे। उस समय रघुनाथ जी ने बिना फल मुझे मारा था जिससे मैं क्षण भर में ही सौ योजन पार आकर गिरा था। उनसे बैर करने में भलाई नहीं है।
4- मेरी यह दशा तो कीड़े सी हो गई है। अब मैं हर कही पर ही श्री राम लक्ष्मण दोनों भाईयो को ही देखता हूँ और हे तात! यदि वह मनुष्य है तो भी बड़े शूरवीर है। उनसे विरोध करने में सफलता नहीं मिलेगी।
25- दोहा का अर्थ-
जिसने तड़का और सुबाहु को भगा दिया शिव जी का धनु तोड़ दिया और खर दूषण त्रिशिरा को भी भगा दिया ऐसा प्रचंड बली भी कही हो सकता है?
चौपाई का अर्थ-
1- अतः अपने कुल की कुशलता को विचारकर आप घर लौट जाइये। यह सुनकर रावण क्रोधित हो उठा और उसने बहुत से दुर्वचन कहे। अरे मुर्ख! तू गुरु की तरह मुझे ज्ञान सिखाता है? बता तो, संसार में मेरे समान योद्धा कौन है?
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