नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Prithvi Nath Pandey Hindi Book Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Prithvi Nath Pandey Hindi Book Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से Sankhya Darpan Pdf Hindi कर सकते हैं।
Prithvi Nath Pandey Hindi Book Pdf Download

Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।
यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।
सिर्फ पढ़ने के लिए
इसी तरह शुभ तिथि एवं नक्षत्र आदि ही देव कार्य में ग्राह्य होते है। वार आदि का भली भांति विचार करके पूजा और जप आदि करने चाहिए। वेदो में पूजा शब्द के अर्थ की इस प्रकार योजना की गयी है। यह पूजा शब्द की व्युत्पत्ति है। भोग और फल की सिद्धि वह जिस कर्म से सम्पन्न होती है उसका नाम पूजा है।
मनोवांछित वस्तु तथा ज्ञान ये ही अभीष्ट वस्तुए है। सकाम भाव वाले को अभीष्ट भोग अपेक्षित होता है और निष्काम भाव वाले को अर्थ पारमार्थिक ज्ञान। ये दोनों ही पूजा शब्द के अर्थ है। इनकी योजना करने से ही पूजा शब्द की सार्थकता है। इस प्रकार लोक और वेद में पूजा शब्द का अर्थ विख्यात है।
नित्य और नैमित्तिक कर्म कालांतर में फल देते है। किन्तु काम्य कर्म का यदि भली-भांति अनुष्ठान हुआ हो तो वह तुरंत फलद होता है। प्रतिदिन एक पक्ष एक मास और एक वर्ष तक लगातार पूजन करने से उन-उन कर्मो के फल की प्राप्ति होती है और उनसे वैसे ही पापो का क्रमशः क्षय होता है।
प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापो का नाश करने वाली और एक पक्ष तक उत्तम भोगरूपी फल देने वाली होती है। चैत्रमास में चतुर्थी को की हुई पूजा एक मास तक किए गए पूजन का फल देने वाली होती है।
जब सूर्य सिंह राशि पर स्थित हो उस समय भाद्रपद मास की चतुर्थी को की हुई गणेश जी की पूजा एक वर्ष तक मनोवांछित भोग प्रदान करती है ऐसा जानना चाहिए। श्रावण मास के रविवार को हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि को तथा माघ शुक्ला सप्तमी को भगवान सूर्य का पूजन करना चाहिए।
ज्येष्ठ तथा भाद्रपद मासो के बुधवार को श्रवण नक्षत्र से युक्त द्वादशी को भी किया गया भगवान विष्णु का पूजन अभीष्ट सम्पत्ति को देने वाला माना गया है। श्रावणमास में की जाने वाली श्री हरि की पूजा अभीष्ट मनोरथ और आरोग्य प्रदान करने वाली होती है।
अंगो एवं उपकरणों सहित पूर्वोक्त गौ आदि बारह वस्तुओ का दान करने से जिस फल की प्राप्ति होती है उसी को द्वादशी तिथि में आराधना द्वारा श्री विष्णु की तृप्ति करके मनुष्य प्राप्त कर लेता है। जो द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु के बारह नामो द्वारा बारह ब्राह्मणो का षोडशोपचार पूजन करता है।
वह उनकी प्रसन्नता प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार सम्पूर्ण देवताओ के विभिन्न बारह नामो द्वारा किया हुआ बारह ब्राह्मणो का पूजन उन-उन देवताओ को प्रसन्न करने वाला होता है। कर्क की संक्रांति से युक्त श्रावण मास में नवमी तिथि को मृगशिरा नक्षत्र के योग में अम्बिका का पूजन करे।
मित्रों यह पोस्ट Prithvi Nath Pandey Hindi Book Pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Prithvi Nath Pandey Hindi Book Pdf की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।