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Pranayam Pdf In Hindi / प्राणायाम पीडीएफ इन हिंदी


सिर्फ पढ़ने के लिए
हे नाथ! मुनिनाथ वशिष्ठ जी के साथ सब माताए, नगर निवासी, सेवक, सेनापति, मंत्री अब आपके वियोग में व्याकुल होकर आये है।
चौपाई का अर्थ-
1- गुरु का आगमन सुनकर शील के समुद्र श्री राम जी सीता के पास शत्रुघ्न को रखकर और वह परम धीर, धर्म धुरंधर, दिन दयालु, श्री राम जी उसी समय वेग के साथ चल पड़े।
2- गुरु जी के दर्शन करके लक्ष्मण जी सहित प्रभु श्री राम जी प्रेम में भर गए और दंडवत प्रणाम करने लगे। मुनि श्रेष्ठ वशिष्ठ जी ने दौड़कर उन्हें हृदय से लगा लिया और प्रेम से उमंगकर वह दोनों भाइयो से मिले।
3- फिर प्रेम से पुलकित होकर केवट (निषाद राज) ने अपना नाम लेकर दूर से ही वशिष्ठ जी को दंडवत प्रणाम किया। ऋषि वशिष्ठ जी ने उसे राम सखा जानकर उसे जबरन हृदय से लगा लिया मानो जमीन पर लोटते हुए प्रेम को समेट लिया हो।
4- श्री रघुनाथ जी की भक्ति सुंदर मंगल का मूल है, ऐसा कहते हुए सराहना करके देवता आकाश से फूल बरसाने लगे। वह कहने लगे जगत में इसके समान सर्वथा नीच कोई नहीं है और वशिष्ठ जी के समान बड़ा कौन है?
243- दोहा का अर्थ-
जिस निषाद को देखकर मुनिराज वशिष्ठ जी ने लक्ष्मण जी से भी अधिक उससे आनंदित होकर मिले। यह सीतापति श्री राम के भजन का प्रत्यक्ष प्रभाव है।
चौपाई का अर्थ-
1- दया की खान भगवान सुजान श्री राम जी ने सब लोगो को दुखी और मिलने के लिए व्याकुल जाना। तब जो जिस भाव से मिलने का अभिलाषी था, सबका सब प्रकार से रुख रखते हुए।
2- उन्होंने लक्ष्मण सहित पलभर में सबसे मिलकर उनके दुःख और संताप को दूर कर दिया। श्री राम जी के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। जैसे अनेक घड़ो में एक ही सूर्य का प्रतिबिंब पृथक-पृथक दीखता है।
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