नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Police Verification Form Pdf Rajasthan in Hindi देने जा रहे हैं। आप नीचे की लिंक से Police Verification Form Pdf Rajasthan in Hindi Free Download कर सकते हैं।
Rajasthan Police Verification Form Pdf /




सरकारी कार्य या फिर गैर सरकारी कार्य में पुलिस चरित्र प्रमाण की आवश्यकता है, उसे ही पुलिस वैरिफिकेशन (Police Verafication) कहा जाता है। शहरों में किसी घर के एग्रीमेंट के समय भी Police Verafication की आवश्यकता होती है।
Police Verafication क्या है?
भाड़े पर घर या दुकान लेते समय, किसी सेक्टर में जॉब के समय (अक्सर दूसरे प्रदेशो में और मूल प्रदेश में भी) पासपोर्ट बनवाते समय Police Verafication की आवश्यकता होती है। इसे Character Certificate कहा जाता है। इसके तहत पोलिस यह जाँच करती है कि आपके ऊपर कोई आपराधिक मामले तो नहीं है।
आप Character Certificate पोलिस स्टेशन में जाकर ऑफलाइन बनवा सकते है और आप इसे Online भी बनवा सकते है। आपको फॉर्म भरकर सबमिट Website पर करना होगा।
Police Verafication के लिए आवश्यक दस्तावेज
अब हम आपको बताने जा रहे है कि Character Certificate Form के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या है।
1- आधार कार्ड।
2- राशन कार्ड।
3- वोटर आईडी।
4- फोटो।
5- पोस्ट आर्डर (आवेदन रसीद)
6- अन्य वेरिफाइड सर्टिफिकेट।
Rajsthan Police Official Website For Character Certificate
हम आपको यहां राजस्थान पुलिस की वेबसाइट की लिंक दे रहे हैं। आप यहां से और भी विस्तार से पढ़ सकते हैं।
सिर्फ पढ़ने के लिए
भौतिक प्रकृति (भगवान की एक शक्ति) – भगवान कहते है – हे कुंती पुत्र ! यह भौतिक प्रकृति मेरी शक्तियों में से एक है और यह मेरी ही अध्यक्षता में कार्य करती है जिससे सारे चर तथा अचर प्राणी उत्पन्न होते है। इसके शासन में ही यह जगत बारम्बार श्रीजित तथा विनष्ट होता रहता है।
परमेश्वर परम इच्छा मय है और इस भौतिक जगत के आधार भूत स्वरुप है किन्तु इसकी सारी व्यवस्था प्रकृति के द्वारा ही की जाती है।
भगवान जब प्रकृति पर दृष्टिपात करते है तो प्रकृति तुरंत ही क्रियाशील हो उठती है और तुरंत ही सारी वस्तुए उत्पन्न हो जाती है। चूंकि वह प्रकृति के ऊपर दृष्टिपात करते है तो निःसंदेह ही क्रिया होती है।
किन्तु भौतिक जगत के प्राकट्य से उन्हें कुछ भी लेना-देना नहीं रहता है। एक उदाहरण जो इस प्रकार से है – यदि किसी व्यक्ति के समक्ष फूल होता है तो उसे उसकी सुगंध प्राप्त होती है किन्तु फूल और सुगंध एक दूसरे से विलग रहते है।
ऐसा ही संबंध भौतिक जगत तथा भगवान के बीच में रहता है। वस्तुतः भगवान को इस जगत से कोई प्रयोजन नहीं रहता है। किन्तु वह ही दृष्टिपात से इस भौतिक जगत को उत्पन्न तथा व्यवस्थित करते है।
सारांश के रूप में हम कह सकते है कि परमेश्वर की अध्यक्षता के बिना प्रकृति के लिए कुछ भी कर पाना असंभव होता है। तो भी भगवान समस्त कार्यो से पृथक रहते है।
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