नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Police investigation book pdf in Hindi देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Police investigation book pdf in Hindi Free Download कर सकते हैं और आप यहां से The Power of Habit Pdf Free Download कर सकते हैं।
Police investigation book pdf in Hindi Download



सिर्फ पढ़ने के लिये
दीपक बेलवा गांव में बालकिशन के घर गया और उसे पांच लाख रुपये देते हुए बोला आप अब शादी की अच्छी तरह से तैयारी करो। बालकिशन बोला दीपक भाई आप चलकर जमीन की अभी रजिस्ट्री करा लो या शादी बीत जाने के बाद ही करा लेना।
दीपक बोला जब आपको मौका मिले तो आगरा चलकर जमीन की रजिस्ट्री करा देना इतना कहते हुए दीपक जाने लगा तो बालकिशन बोला दीपक भाई आपको मैं शादी में आने के लिए आमंत्रित करता हूँ। आप अपने साथियो के साथ अवश्य ही आइयेगा।
12 मई को शादी है लेकिन आपने हमे दो लाख के बजाय पांच लाख रुपया क्यों दिए? दीपक बोला यह पैसा सरोज सेवा केंद्र के माध्यम से आपको दिया गया है और वह जमीन भी सरोज सेवा केंद्र के नाम से ही खरीदी जाएगी जो तीन लाख रुपया अधिक दिया गया है वह आपकी लड़की के शादी में सहायता हेतु दिया गया है।
अगर आपके ऊपर किसी का कर्ज होगा तो उसे लौटा देना और यह तीन लाख रुपया आप वापस नहीं करना। इतना कहकर दीपक चला गया। बालकिशन सोचने लगा क्या इस स्वार्थी दुनिया में दूसरे के दर्द को समझने वाले लोग भी है? बालकिशन शादी की तैयारी में व्यस्त हो गया।
12 मई का दिन भी आ गया शादी की सारी तैयारी यथा योग्य पूरी हो गयी थी। दीपक अपने पांच साथियो के साथ आया था राधे भी था। दीपक ने अपने सभी साथियो को पहले ही तैयार रहने के लिए कह दिया था क्योंकि ऐसे मौके पर ही गांव में जयचंद लोग कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो जाते है जो किसी भी प्रकार से सामने वाले व्यक्ति की बेइज्जती हो जाय।
दूसरे की बेइज्जती से ऐसे विघ्न संतोषी व्यक्तियों का हर दांव पता था। इसलिए वह अपने पांच साथियो के साथ पूर्ण रूप से तैयार था। दीपक ने अपने बचे हुए पांच साथियो को भी दोपहर के बाद आने के लिए कह दिया था। बारात समय से आ गयी थी।
द्वारचार के बाद जलपान की व्यवस्था थी जो एकदम सही ढंग से निपट गयी। विवाह की रश्म शुरू हो चुकी थी। बालकिशन ने सभी बारातियो को भोजन के लिए कह दिया था। ऐसे मौके पर गांव के कई युवक और प्रौढ़ विघ्न संतोषी गायब हो गए थे।
उन्हें लग रहा था कि बालकिशन जैसा व्यक्ति इतनी सुंदर व्यवस्था किस प्रकार से कर लिया। बाराती भोजन के लिए भोजन स्टाल के पास गए तो वहां कोई नहीं था। काना-फूसी होने लगी तभी दीपक ने मौका ताड़ लिया और अपने साथियो को भोजन स्टाल पर तैनात कर दिया।
बालकिशन कुछ समय के लिए भोजन के स्टाल की तरफ आया तो वहां उसके गांव का कोई भी व्यक्ति न था। दीपक ने उसे इशारा किया कि सब व्यवस्था हो चुकी है। सारे बाराती भोजन करके रात्रि में ही अपने घर के लिए चले गए थे। कही कोई भी अव्यवस्था नहीं हुई थी।
सब कुछ सुचारु रूप से हो गया था तो विघ्न संतोषी जयचंद लोगो को आश्चर्य हुआ और वह सभी देखने के लिए चले आये और भोजन करने के लिए टूट पड़े थे। उसी समय बालकिशन ने शादी का कार्यक्रम सम्पन्न करके वहां आ गया जहां गांव के धोखेबाज जयचंद लोग दावत उड़ा रहे थे।
वह लोग बालकिशन को देखकर शर्मिंदा हो गए थे। कुछ साहसी लोगो ने धृष्टता की हदे पार करते हुए कहा बाले भाई भोजन तो बहुत बढ़िया है और आपकी व्यवस्था भी बहुत अच्छी है। बाले ने कहा भाई यह सब भगवान के साथ ही दीपक भाई की मेहरबानी से हुई है।
बालकिशन ने अपनी लड़की को घर गृहस्थी का सारा सामान दिया था। लड़के पक्ष के सभी लोग खुश थे। यह शादी गांव में चर्चा का केंद्र बन गयी थी।
तभी किसी जयचंद ने कहा यह तो सरोज सेवा केंद्र के द्वारा हुआ है। एक प्रौढ़ आदमी बोला आप भी क्यों नहीं जुड़ जाते उस केंद्र से। यह सुनकर जयचंद अपना सा मुंह लेकर रह गया।
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