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Patanjali Yog Darshan Gita Press Pdf


सिर्फ पढ़ने के लिए
1- श्रेष्ठ मुनि वशिष्ठ जी समयोचित वचन कहा – हे सभासदो! हे सुजान भरत! सुनो, सूर्यकुल के सूर्य महाराज श्री राम जी धर्म धुरंधर और स्वतंत्र भगवान है।
2- वह सत्य प्रतिज्ञ है और वेद की मर्यादा के रक्षक है। श्री राम जी का अवतार ही जगत के कल्याण के लिए हुआ है। वह गुरु, पिता और माता के वचन के अनुसार ही चलने वाले है। दुष्टो के दल का नाश करने वाले और देव हितकारी है।
3- नीति, प्रेम, परमार्थ और स्वार्थ को श्री राम जी के समान यथार्थ (तत्व से) कोई नहीं जानता है। ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, चंद्र, सूर्य, दिग्पाल, माया, जीव सभी कर्म और काल।
4- शेष जी और पृथ्वी एवं पाताल के अन्यान्य राजा जहां तक प्रभुता है और योग की सिद्धियां जो वेद और शास्त्रों में गयी गयी है हृदय में अच्छी तरह से विचार कर देखो तो यह स्पष्ट रूप से दिखाई देगा कि श्री राम जी की आज्ञा इस सबके ऊपर है और श्री राम जी एकमात्र सबके महेश्वर है।
254- दोहा का अर्थ-
अतएव श्री राम जी की आज्ञा और रुख रखने में ही हम सबका हित होगा। इस तत्व और रहस्य को समझकर अब तुम सब सयाने लोगो का जो सम्मत हो, वही मिलकर करो।
चौपाई का अर्थ-
1- श्री राम जी का राज्याभिषेक सबके लिए सुखदायक है। मंगल और आनंद का मूल यही एक मार्ग है। अब श्री राम जी किस प्रकार से अयोध्या चले? विचार कर कहो, वही उपाय किया जाय।
2- मुनि श्रेष्ठ वशिष्ठ जी की नीति, परमार्थ और स्वार्थ लौकिक हित में सनी हुई वाणी सबने आदर पूर्वक सुनी पर किसी को कोई उत्तर नहीं समझ में आता है सब लोग भोले (विचार शक्ति से रहित) हो गए। तब भरत ने सिर नवाकर हाथ जोड़े।
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