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Parshuram Sharma Novels Pdf Hindi Download







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सिर्फ पढ़ने के लिये
राजा जयंत के दरबार में दीनू नामक एक नौकर था। वह राजा की बहुत चाटुकारी करता था लेकिन राजा जयंत उसकी बातो पर कभी गौर नहीं करते थे। उन्हें मालूम था कि चाटुकारो की बात सुनने से सही स्थिति का पता नहीं चलता है अतः वह अपने स्वविवेक से ही प्रजा की भलाई के लिए ही सारा कार्य करते थे।
दीनू जो राजा का नौकर था उसने राजा से कहा – महाराज! वह जो आदमी आपके दाहिने सिंहासन पर आकर प्रायः बैठ जाता है तो आप उसकी परीक्षा क्यों नहीं लेते है? राजा ने दीनू से कहा – तुम्हारा कहने का अभिप्राय क्या है? दीनू बोला – महाराज! हम उसे यहां कल आने पर बात ही बात में उसके यहां निमंत्रण की बात स्वीकार करवा लेंगे।
राजा बोले – लेकिन दीनू यह सब कैसे होगा? दीनू बोला – महाराज! यह सब आप हमारे ऊपर छोड़िये लेकिन मैं जो शर्त उससे लगाऊंगा उसमे आपकी स्वीकृति अवश्य होनी चाहिए। राजा बोले – हम तुम्हे स्वीकृति प्रदान करते है। सभा की समाप्ति पर सभी दरबारी अपने घर लौट गए। हरी प्रजापति भी अपने गए थे।
सभी लोग भोजन करने के बाद रात्रि विश्राम करने लगे। मिलन भी अपने कमरे में विश्राम कर रहा था। वह सोने से पहले सुमन से बात अवश्य करता था। मिलन को लगा कि उसके कमरे में कोई चहल कदमी कर रहा है। मिलन थोड़ा भयभीत हो गया फिर भी हिम्मत रखते हुए बोला – कौन है हमारे कमरे में?
एक हल्की खनकदार हंसी मिलन को सुनाई पड़ी फिर आवाज आई – इस कमरे में तुम्हारे बाद अगर कोई आ सकता है तो वह मैं हूँ। मिलन नींद के स्वर में बोला – पहेली मत बुझाओ स्पष्ट रूप से बताओ नहीं तो मैं सुमन की सहायता से अभी पता लगा लूंगा।
चहल कदमी करती हुई छाया से तीन बार ताली बजाया लेकिन मटके से कोई आवाज नहीं आयी। अब तो मिलन का क्रोध सातवे स्थान पर था। वह बोला – आज मैं इस मटके को ही तोड़ दूंगा। न यह मटका रहेगा न सुमन परी ही रहेगी। इतना कहते हुए उसने कमरे में पड़ा हुआ डंडा उठा लिया।
वह डंडे से मटके के ऊपर प्रहार करने ही वाला था तभी उसे लगा किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया है। मिलन हाथ छुड़ाने का प्रयास करने लगा लेकिन सफल नहीं हो सका। अदृश्य आवाज कहने लगी – मिलन तुम यह मटका क्यों तोड़ने जा रहे थे?
मिलन बोला – कोई हमे डराने का प्रयास कर रहा था मैंने सुमन को अपनी सहायता के लिए ताली बजायी लेकिन वह भी हमारी सहायता के लिए नहीं आयी तब मैं यह मटका रखकर क्या करूँगा? अदृश्य आवाज में सुमन बोली – क्या आज तुमने सोने से पहले सुमन से बात किया था?
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