नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Panchsiddhantika Pdf In Hindi देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Panchsiddhantika Pdf In Hindi Download कर सकते हैं और आप यहां से वराहमिहिर रचित ज्योतिष ग्रंथ Pdf भी डाउनलोड कर सकते हैं।
Panchsiddhantika Pdf In Hindi

सिर्फ पढ़ने के लिए
2- प्रभु अपने नीच जनो का भी आदर करते है, अग्नि धुए को पर्वत तृण (घास) को अपने सिर पर रखते है। हमारे राजा तो कर्म, मन और वाणी से आपके सेवक है और सदा सहायक तो महादेव जी और पार्वती जी है।
3- आपका सहायक होने योग्य इस जगत में कोई नहीं है। दीपक सूर्य की सहायता करते हुए कही प्राप्त कर सकता है। श्री राम जी में जाकर देवताओ का कार्य करके अवधपुरी में अचल राज्य करेंगे।
4- देवता, नाग और मनुष्य सब श्री राम जी की भुजा के बल पर अपने-अपने स्थान लोक में सुख पूर्वक बसेंगे। यह सब याज्ञवल्क्य मुनि ने पहले ही कह रखा है। हे देवी! मुनि का कथन व्यर्थ झूठा नहीं हो सकता है।
285- दोहा का अर्थ-
ऐसा कहकर बहुत ही प्रेम से पैरो को पकड़कर सीता जी को अपने साथ भेजने के लिए विनती करके और सुंदर आज्ञा पाकर तब सीता जी समेत सीता जी की माता डेरे पर चली।
चौपाई का अर्थ-
1- जानकी जी ने अपने प्यारे कुटुंबियो से जो जिस योग्य था उससे उसी प्रकार से मिली। जानकी जी को तपस्वी के वेश में देखकर सभी शोक से अत्यंत व्याकुल हो गए।
2- जनक जी श्री राम जी के गुरु वशिष्ठ जी की आज्ञा लेकर अपने डेरे को चले और आकर उन्होंने सीता जी को देखा। जानकी जी ने अपने पवित्र प्रेम प्राणो की पाहुनी जानकी जी को अपने हृदय से लगा लिया।
3- उनके हृदय में वात्सल्य प्रेम का समुद्र उमड़ पड़ा। राजा का मन मानो प्रयाग हो गया, उस समुद्र के अंदर उन्होंने आदिशक्ति के (सीता जी के) अलौकिक स्नेह रूपी अक्षय वट को बढ़ते हुए देखा। उस सीता जी के प्रेम रूपी वट पर श्री राम जी का प्रेम रूपी बालक (बाल रूप धारी भगवान) सुशोभित हो रहा है।
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