मित्रों इस पोस्ट में Panchatantra Stories in Hindi Pdf दिया गया है। आप नीचे की लिंक से Small Panchatantra Stories in Hindi Pdf Free Download कर सकते हैं और आप यहां से 15 + Bedtime Stories in Hindi PDF Free Download कर सकते हैं।
Panchatantra Stories in Hindi Pdf
पंचतंत्र की कहानियां Pdf
दरशू हलवाई की दुकान शहर में सबसे बढ़िया मिष्ठान्न की दुकान थी। उसकी दुकान पर बड़े-बड़े अफसर, अध्यापक, वकील और सामान्य जनता भी आती थी।
दरशू की दुकान पर मिष्ठान्न का उचित मूल्य और अच्छा व्यवहार देखकर ही उसके यहां ग्राहकों की लम्बी कतार लगी रहती थी। दरशू की माली हालत अच्छी थी लेकिन फिर भी दरशू को खाली समय में चिंता आकर रस्सियों से बांध देती थी। उसका कारण था।
कारण यह था कि दरशू के चार पुत्र थे जो पढ़ने लिखने में फिसड्डी होते हुए भी कामचोर थे एकदम आलसी। कोई भी लड़का दरशू के कार्य में हाथ नहीं बंटाता था। इसलिए दरशू परेशान रहता था।
दशहरा का मेला नजदीक था और उसके बाद दीपावली आने वाली थी क्योंकि इन दो त्यौहारों पर सभी दुकान वालो की अच्छी खासी आमदनी बढ़ जाती थी जिसका सभी दुकानदारो के साथ ही दरशू को भी बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता था।
दरशू के चारो लड़के निठल्ले बैठे रहते थे और आपस में किसी भी बात को लेकर उलझ जाते थे। इतना उलझ जाते थे कि आपस में हाथा-पाई कर लेते थे। अक्सर उस समय जब दरशू अपनी दुकान बंद करने के बाद घर आता था।
तब उन चारो के व्यवहार को देखकर दरशू परेशान हो जाता था और चाहते हुए भी उन सभी को कोई भी काम करने के लिए नहीं कहता था क्योंकि उसे डर था कि इनके व्यवहार से उसका पुश्तैनी धंधा ठप हो जाएगा तब उसे ‘रोडपती’ बनने से कोई नहीं रोक सकता था। लेकिन उन चारो बच्चो को सुधारना भी आवश्यक था।
गर्मी का महीना था। एक दिन दरशू दुकान बंद करके घर की तरफ चला जा रहा था। सोच रहा था कि भोजन करने के बाद आराम से नींद की गोद में सो जाएगा।
घर पहुंचने के बाद ही उसने पानी के लिए अपनी सहचरी को हांक लगाई, “क्या हमे पानी भी मिलेगा या नहीं ?”
तभी उसकी सहचरी ‘इमरती देवी’ ‘जैसा नाम वैसा ही काम’ था। उसके मन में अपने पति और बच्चो के लिए बहुत मिठास थी। लेकिन ठीक ‘इमरती’ के जैसी हमेशा ही टेढ़ी रहती थी।
दरशू के आवाज देने पर उसकी सहचरी भन्नाते हुए कहा, “जब देखो चिल्लाते रहते हो मैं तुमसे और इन ‘चांडाल चौकड़ी’ से तंग आ गई हूँ।”
तब दरशू ने कहा, “अरे भागवान मैं तो सुबह का गया रात को ही वापस घर आता हूँ। अगर तुम हमे एक गिलास पानी देने में ‘तंग’ हो जाती हो तब आज से पानी भी ‘दरशू’ नहीं मांगेगा और रही बात ‘चांडाल चौकड़ी’ की तो इन्हे संभालने की जिम्मेदारी सिर्फ हमारी नहीं है।
सारा दिन तुम तो इन चौकड़ी के साथ रहती हो। तुम इनमे से किसी को भी समझा नहीं सकती हो कि ‘जिस व्यापार’ से तुम सभी की उदर पूर्ति के साथ ही अन्य जरूरते भी पूरी होती है। इनमे से कोई भी उसमे हाथ नहीं बंटा सकता है क्या ?”
दरशू की इतनी बात सुनते ही इमरती को अपनी गलती का आभास हो गया था। वह उल्टे पांव भागी और तुरंत ही एक गिलास ठंडा पानी लेकर दरशू के पास गई इस उद्देश्य के साथ कि पानी पीकर दरशू की झुंझलाहट थोड़ा कम हो जाएगी और ठीक वैसा ही हुआ।
अब दरशू का दिमांग थोड़ा ठंडा हो गया था। दरशू ने अपनी सहचरी से कहा, “कि इन चारो निठल्लो को क्यों समझाती हो हमेशा झगड़ने से कुछ भी कार्य नहीं होने वाला है। यह हमारी दुकान तीन पश्तो से चली आ रही है। अगर हम भी तुम लोगो की तरह हमेशा ही झगड़ा करते रहते तो कब के ही ‘रोडपती’ बन गए होते ? अरे यह तो अच्छा होता कि हम लोग झगड़ा करके ही ‘करोडपती’ बन जाते। अरे भागवान झड़गा करके कोई करोडपती नहीं ‘रोडपती’ ही बन पाता है।”
दरशू की बात को सुनकर इमरती के होश ठिकाने आ चुके थे। उधर दरशू को रात में नींद नहीं आ रही थी। वह सोच रहा था कि उसके चारो लड़के किस तरह जिंदगी की राह में दौड़ेंगे ?
सुबह उठकर दरशू अपनी दुकान पर चला गया। दोपहर हो गई थी। वह अपने चारो लड़को के बिषय में ही सोच रहा था। दरशू के दिमाग में एक विचार जन्म ले चुका था।
वह रात में ही घर आया और अपने चारो बच्चो को बुलाकर कहने लगा, “बच्चो कल तुम लोगो को अलग अलग दुकान लगाना है क्योंकि कल दशहरा का मेला है। तुम लोग तो पढ़ते-लिखते नहीं हो तो कम से कम कुछ काम-धंधा ही करो ?”
दशहरे के मेले में दरशू अपने चारो लड़को को एक-एक जगह पर सब सामान देकर धंधा करने के लिए बैठा दिया। मेला समाप्त होने पर चारो लड़के खुश थे क्योंकि सभी ने अच्छी कमाई किया था।
मेला समाप्त होने के बाद ही सभी अपने धंधे पर लग गए थे। लेकिन काफी दिन के बाद भी सफलता नहीं मिल रही थी। तब दरशू ने एक उपाय अपने बच्चो को बताया।
अब दरशू के चारो बच्चे दो-दो की संख्या में मिलकर अपना धंधा करने लगे। अब उनके धंधे में पहले से अधिक सुधार आ गया था। एक दिन चारो लड़के दरशू से कहने लगे, “पिताजी, अगर हम एक साथ रहकर अपने धंधे को आगे बढ़ाए तो कैसा रहेगा ?”
दरशू तो जैसे इसी अवसर की प्रतीक्षा कर रहा था। दरशू तपाक से बोला, “शुभ कार्य में विलम्ब नहीं होने देना चाहिए। तुम लोग आज ही एक साथ अपनी पुश्तैनी दुकान को संभालो।”
दरशू के सभी बच्चो ने मिलकर अपनी पुश्तैनी दुकान को और अच्छे ढंग से आगे बढ़ाने का कार्य संभाल लिया था। अब दरशू बहुत ही खुश था। उसके मुंह से निकला ‘अंत भला तो सब भला’। दरशू अपने चारो बच्चो को परख चुका था। नतीजा उसके सामने था। सभी मिलकर अपने व्यापार को ढंग से आगे ले जा रहे थे।
Panchatantra stories in Hindi with Moral Pdf Download
Pdf Book Name | Panchatantra Stories in Hindi Pdf |
लेखक | विष्णु शर्मा |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 294 |
Pdf साइज़ | 13 MB |
Category | Story |
101 Panchatantra Stories in Hindi Pdf Free Download | Download Now |
सही दिशा हिंदी स्टोरी Pdf Download | Download Now |
नकारा राजा Story Pdf Download | Download Now |
सच्चा सुख Story Pdf Download | Download Now |
सच्ची सेवा Hindi Story Pdf Download | Download Now |
Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।
यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें newsbyabhi247@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।
मित्रों यह Panchatantra Stories in Hindi Pdf आपको कैसी लगी जरूर बताएँ और पंचतंत्र की कहानियां इन हिंदी बुक Pdf की तरह की दूसरी कहानियों के लिए इस ब्लॉग को सब्स्क्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।