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Padma Puran Sanskrit Pdf


सिर्फ पढ़ने के लिए
शिव जी कहते है हे पार्वती! श्री राम जी तीनो गुणों से परे है। कामी लोगो की दीनता और बेबसी दिखलाई है। विवेकी और धीर पुरुष के मन में वैराग्य दृढ किया है।
क्रोध, लोभ, मद और माया यह सब श्री राम जी की दया से ही छूटते है। वह नट जिसपर प्रसन्न होता है। वह मनुष्य इंद्रजाल रूपी माया में नहीं भूलता है।
हे उमा! मैं तुम्हे अपना अनुभव कहता हूँ – कि हरि का भजन ही सत्य है यह सारा जगत तो स्वप्न की भांति झूठा है। फिर प्रभु श्री राम जी पंपा नामक सुंदर और गहरे सरोवर के निकट गए।
उसका जल संतो के हृदय के समान निर्मल है। मन को हरने वाले सुंदर चार घाट बंधे हुए है भांति-भांति के पशु जहां जल पी रहे है। मानो उदार दानी पुरुष के घर याचको की भीड़ लगी हो।
39- दोहा का अर्थ-
घनी पुरइनो की आड़ में जल का जल्दी पता नहीं मिलता जैसे माया से ढके होने के कारण ही निर्गुण ब्रह्मण नहीं दीखता है। उस सरोवर के अथाह जल में सब मछलियां सदा एकरस सुखी रहती है। जैसे धर्मशील पुरुषो के सब दिन सुख पूर्वक बीतते है।
चौपाई का अर्थ-
उसमे रंग बिरंगे कमल खिले हुए है। बहुत से भौरे मधुर स्वर से गुंजार कर रहे है। जल के मुर्गे और राजहंस बोल रहे है। मानो प्रभु को देखकर उनकी प्रशंसा कर रहे हो।
चक्रवाक, बगुले आदि पक्षियों का समुदाय देखते ही बनता है। उनका वर्णन नहीं किया जा सकता है। सुंदर पक्षियों की बोली बहुत सुहावनी लगती है मानो रास्ते में जाते हुए पथिक को बुला लेती है।
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