नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Om Prakash Sharma Novel Pdf Hindi देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Om Prakash Sharma Novel Pdf Hindi Download कर सकते हैं और आप यहां से Nagraj कॉमिक्स Pdf Download कर सकते हैं।
Om Prakash Sharma Novel Pdf Download
पुस्तक का नाम | Om Prakash Sharma Novel Pdf |
पुस्तक के लेखक | ओम प्रकाश शर्मा |
भाषा | हिंदी |
श्रेणी | Novel |
साइज | 13.9 Mb |
पृष्ठ | 119 |
फॉर्मेट |






Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।
यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें newsbyabhi247[email protected] पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।
सिर्फ पढ़ने के लिये
डा. मुखर्जी बोले – हां मैं यही का रहने वाला हूँ। कार्तिक उनसे नीली कोठी के विषय में पूछने लगा। डा. मुखर्जी ने उसे बताया कि वह कोठी किसी साधु के द्वारा अभिशप्त है। लेकिन इसमें रहने वाले लोग हमेशा परोपकारी ही रहते है।
शहरी क्षेत्र में देहात की अपेक्षा आवश्यकता अधिक रहती है। आवश्यकता के अनुसार ही सुविधा भी अधिक रहती है। इसका परिणाम यह होता है कि अकेले पुरुष अपने परिवार का दायित्व पूर्ण नहीं कर सकता है। इसलिए परिवार के परिचालन में औरतो की भागीदारी आवश्यक हो गयी है।
प्रायः सभी कम्पनी वालो ने औरतो के लिए भी आवश्यकतानुसार कार्य की व्यवस्था किया है। पराग एक दिन अपने पुत्र कार्तिक से बोले – मैं 20 दिन के लिए गांव जा रहा हूँ तब तक के लिए तुम्हे दुकानों के साथ ही अपनी हैंडलूम कम्पनी को भी संभालना पड़ेगा क्या तुम इसके लिए तैयार हो?
कार्तिक बोला – पिताजी! जिम्मेदारी तो बढ़ गयी है कोशिश करूँगा कि इस जिम्मेदारी को अच्छी तरह से पूरी कर सकूँ क्योंकि भविष्य में ऐसी कोई भी चुनौती आ सकती है? यह तैयारी हमारे लिए परीक्षा का कार्य करेगी। कार्तिक की बात सुनकर पराग मन में मुस्कुराने लगे क्योंकि उनका लड़का भविष्य में आने वाली चुनौती के लिए तैयार था।
जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है उसे परिणाम उसी के अनुरूप प्राप्त होता है और पराग इस मामले में खुश थे कि उनका कर्म अच्छा था जो उनका पुत्र जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार था। पराग और केतकी अपने गांव कीरतपुर आ गए थे कीरतपुर में उनका पुश्तैनी मकान था।
जो पुराने जमाने का बना हुआ था और इस आधुनिक युग में वैसा मकान बनाने के लिए कारीगर और सामाग्री का सर्वथा अभाव हो गया था क्योंकि समय के साथ ही गांव में भी बदलाव की धीमी बयार बह रही थी। पराग जब छोटे थे तब उनके गांव में हर व्यक्ति के घर गाय, बैल और बकरियां हुआ करती थी।
प्रत्येक घर में दुग्ध आसानी से उपलब्ध होता था। जानवरो के गोबर से उपले बनते थे। उन्ही उपले को चौके में ले जाकर घर की औरते रसोई में भोजन तैयार करती थी। लोहे की कड़ाही से बनी हुई सब्जी कितनी स्वादिष्ट होती थी जो स्वास्थ्य के लिहाज से भी उत्तम रहती थी।
पराग का परिवार बहुत ही छोटा था। उनकी जन्मदात्री माता पहले ही ईश्वर के दरबार में चली गयी थी। पांच वर्ष का होते ही इन्हे पालने वाली दादी मां भी अपनी बहू का साथ निभाने ईश्वर के पास चली गयी उन्होंने भी पराग का साथ छोड़ दिया।
अब तो पराग और पिता मधुकर ही रह गए थे। कई लोगो ने मधुकर के लिए शादी का प्रस्ताव दिया था लेकिन उनका एक ही जवाब होता था। जब ऊपर वाले को हमारा दर्द नहीं दिखता है तो आप लोग हमारे दर्द को कैसे कम कर सकते है।
हमारे पास एक लड़का है अपने सुख के लिए मैं उसकी जिंदगी को दांव पर नहीं लगा सकता हूँ। मधुकर का जवाब सुनकर लोग चुप हो जाते थे।
कुछ समय के बाद अन्य लोग भी इस विषय में बात करना छोड़ दिए थे। मधुकर ने अपनी नौकरी और पारग के बीच अच्छा ताल-मेल बैठा रखा था।
मित्रों यह पोस्ट Om Prakash Sharma Novel Pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Om Prakash Sharma Novel Pdf की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।