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Nirjala Ekadashi Vrat Katha Pdf Download
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निर्जला एकादशी की कथा
5 पांडवो में भीम सबसे बलशाली थे। राजधर्म में अपने विरोधियो को दंड भी देते थे और कभी-कभी विरोधियो का संहार करना भी आवश्यक होता था इस कार्य से पाप का भागी स्वाभाविक था। पाप से मुक्ति के लिए भीम ने व्यास जी से उपाय पूछा।
व्यास जी ने उन्हें कई व्रत और उपाय बताया भीम के लिए पहले क्षुधा की पूर्ति आवश्यक थी और पाप से बचने का सुगम साधन भी चाहिए था अतः उन्होंने व्यास जी से कहा – पितामह! आप हमे कोई ऐसा व्रत या अनुष्ठान बताइये जिसे एक बार करने से ही समस्त पुण्यो का फल प्राप्त हो जाय क्योंकि मैं क्षुधा तृप्ति के बिना नहीं रह सकता हूँ।
व्यास जी ने कहा – वत्स! तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो इसे पूर्ण करने पर तुम्हे स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है। व्यास जी ने कहा – वत्स! इस निर्जला एकादशी का वर्णन स्वयं भगवान ने मुझसे किया था। इस निर्जला एकादशी का महत्व समस्त दान और तीर्थ से बढ़कर है।
व्यास जी की आज्ञा से भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत किया इसलिए इसे भीम सेनी या पांडव एकादशी कहा जाता है। व्यास जी बोले – हे कुंती पुत्र! जो स्त्री या पुरुष पूर्ण श्रद्धा के साथ इस व्रत को करते है उन्हें बहुत पुण्य प्राप्त होता है अंत में स्वर्ग पथगामी होते है।
निर्जला एकादशी व्रत के समय भगवान के द्वादश अक्षर मंत्र का जाप करना चाहिए इससे पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। इससे बढ़कर संसार में कोई व्रत नहीं है यह सभी व्रतों में श्रेष्ठ है। इसका फल पूरे वर्ष के एकादशियो के बराबर होता है।
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