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Niranjan Choudhary Novels In Hindi Pdf Download




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सिर्फ पढ़ने के लिये
मिलन बोला – मैं आज उससे बात करना भूल गया क्योंकि चारपाई पर जाते ही मुझे झपकी आ गयी? अदृश्य आवाज में सुमन बोली – तुम्हे जब झपकी आयी तो हमने भी सोचा थोड़ा मनरोंजन कर लिया जाय। मिलन बोला – यह सब तुम्हारा कार्य था।
अदृश्य आवाज में सुमन बोली – हां यह सब मेरा ही कार्य था। मिलन बोला – अब मैं अवश्य ही इस मटके को तोड़ दूंगा। मटका नहीं रहेगा तब तुम हमारे ही रहोगी। अदृश्य आवाज में सुमन बोली – ऐसी गलती मत करना। तुम अगर इस मटके को तोड़ दोगे तब हमे किसी भी प्रकार से हासिल नहीं कर पाओगे और हमारी सहायता से भी वंचित हो जाओगे।
फिर से पहले वाली स्थिति में आ जाओगे। मिलन बोला – मैं तुम्हे देखना चाहता हूँ सुमन। सुमन बोली – हर कार्य अपने समय पर ही पूर्ण होता है और समय से पहले तुम्हारी यह अभिलाषा पूर्ण भी नहीं होगी तथा समय आने पर बिना प्रयास के तुम मुझे देख सकोगे।
मिलन का क्रोध शांत हो गया था। उसने डंडा कोने में रख दिया और बोला – मैं जब तक तुमसे बात नहीं करता हूँ मुझे संतुष्टि नहीं प्राप्त होती है। अदृश्य आवाज में सुमन बोली – इन सब बातो को छोड़ो मैं तुम्हे एक बात बताने जा रही हूँ उसे ध्यान से सुनो और हमारे कहने के अनुसार ही तुम्हारी ख्याति चारो तरफ फ़ैल जाएगी।
अदृश्य आवाज में सुमन बोली – जब पिता जी कल राजा के दरबार में जायेंगे तो उनसे कह देना कि राजा जयंत और उनके राज्य के सभी नागरिको को अपने यहां भोजन करने का निमंत्रण देकर आये। मिलन बोला – लेकिन सुमन! उतने बड़े राज्य के राजा और उनके नागरिको के लिए भोजन और सम्मान की व्यवस्था करना क्या हमारे लिए संभव हो सकता है?
सुमन बोली – फिर यह मटके वाली परी किस लिए है क्या तुम्हे हमारे ऊपर विश्वास नहीं है? मिलन उस अदृश्य आवाज से बोला – तुम्हारे ऊपर मुझे पूर्ण विश्वास है और तुम्हारी सहायता से हमारे लिए सब कुछ संभव है। अदृश्य सुमन बोली – अब सो जाओ रात्रि बहुत हो चुकी है।
मिलन नींद के आगोश में जाने का प्रयास करने लगा। सुबह हो गयी थी। हरी प्रजापति राज्य में जाने की तैयारी कर रहे थे। मिलन अभी तक नींद में ही था तभी उसे लगा कोई उसके शरीर को जगाने का प्रयास कर रहा है। उसकी नींद खुल गयी।
उसने देखा कि मटके से दो हाथ निकलकर उसके शरीर को हिला रहे है। मिलन ने उन दोनो हाथो को अपने हाथ से कसकर पकड़ लिया तभी मटके से खिलखिलाती हुई आवाज आयी मिलन तुम व्यर्थ ही प्रयास कर रहे हो मैं सदैव तुम्हारे आस-पास ही रहती हूँ।
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