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एक गांव में एक किसान रहता था। वह रोज अपने खेतों में जाता और खेती का काम करता और उसी से उसकी रोजी-रोटी चलती थी। एक दिन वह अपने खेतों में काम कर रहा था तभी उसका फावड़ा एक कठोर चीज से टकराया।
जब उसने थोड़ी और खुदाई की तो उसमें घडा निकला। किसान ने सोचा यह घडा किसका हो सकता है और इतना बड़ा घडा आखिर किस काम है। यह सोच कर किसान ने उस घड़े को बगल में रख दिया और फिर से अपने काम में लग गया।
दोपहर हुई और किसान के भोजन करने का समय आ गया तो उसने अपना फावड़ा उस घड़े में डाल दिया और भोजन करने चला गया। जब वह भोजन करके वापस अपने खेत पर आया तो आश्चर्यचकित रह गया।
वह घडा फावड़ों से भर गया था। किसान ने सोचा ऐसा कैसे हो सकता है ? एक फावड़ा इतने फावड़ों में कैसे बदल सकता है ? उसे कुछ शक हुआ।
तब उसने पास के आम के पेड़ से एक आम तोड़ा और उस घड़े में से फावड़ों को निकालकर उसमें आम का फल डाल दिया और यह क्या ? वह घडा कुछ ही समय में आम के फल से भर गया।
उसने आमों की गिनती की तो वह पुरे सौ थे और फिर उसने फावड़ों की गिनती की वह भी पुरे सौ थे। तब किसान समझ गया इस घड़े में जादू है। इसमें जो भी सामान डालो वह कुछ देर में उनकी संख्या १०० हो जाती है।
किसान उस उस घड़े को लेकर अपने घर आया और अपनी जरूरत की चीजों को उसमें एक एक करके डालने लगा और कुछ ही समय बाद उसके घर में चीजें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गई।
धीरे-धीरे उस किसान का लालच बढ़ने लगा। वह तमाम चीजों को उस घड़े में डालता और उसे बाजार में ले जाकर बेच देता और उससे उसे बहुत पैसा मिलता।
धीरे-धीरे वह बहुत अमीर हो गया। यह बात गाँव के मुखिया को खटकने लगी। उसने सोचा 2 सालों से इस किसान की फसल भी बर्बाद जा रही है इसके बावजूद भी इसके पास इतना पैसा कैसे आ गया ?
उसने अपने नौकरों को यह पता लगाने के लिए भेजा। एक दिन की बात है जब किसान उस घड़े में एक सेब डाला और कुछ समय बाद वह घड़ा सेब से भर गया तो यह सब मुखिया की नौकर छुपकर देख रहे थे।
उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने आपस में बात की अगर यह घडा हमें मिल गया तो समझो हमारी नसीब खुल गई। उन्होंने यह बात जाकर मुखिया को बताई।
मुखिया अपने नौकरों के साथ उस किसान के घर आया और उससे वह घडा छीन लिया। मुखिया ने उस घड़े में एक स्वर्ण मुद्रा डाली और देखते ही देखते घडा स्वर्ण मुद्राओं से भर गया।
यह देखकर नौकरों में लालच आ गया। मुखिया उस घड़े को अपने पास रखना चाहता था जबकि उसके नौकर उस घड़े को अपने पास रखना चाहते थे और इसी क्रम में वे आपस में छीना झपटी करने लगे और इस छीना झपटी में घड़ा उनके हाथ से गिरा और टूट गया और घड़े की टूटते ही स्वर्ण मुद्राएं भी खत्म हो गई।
मुखिया और उसके नौकर बहुत निराश हुए और चुपचाप वहां से चले गए। किसान ने सोचा सचमुच लालच बुरी बला है। अब मैं भी मेहनत से अपने खेतों में काम करूंगा और खुशी की जिंदगी जिऊँगा।
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