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Nakshatra Fal Pdf / नक्षत्र फल पीडीएफ

नक्षत्र ज्योतिष बुक्स इन हिंदी Pdf
सिर्फ पढ़ने के लिए
3- हे तात! मैं तुम्हे अच्छी तरह जानता हूँ। क्या करू? हमारे जी में बहुत ही असमंजस है (दुविधा है) राजा ने मुझे त्यागकर सत्य को स्थापित कर दिया और प्रेम पण के लिए शरीर छोड़ दिया।
4- उनके वचन को मिटाते हुए मन में सोच होता है। उससे भी बढ़कर तुम्हारा संकोच है। उसपर भी गुरु जी ने मुझे आज्ञा दी है। इसलिए अब तुम जो कुछ कहो, अवश्य जी मैं वही करना चाहता हूँ।
264- दोहा का अर्थ –
तुम अपने मन को प्रसन्न करके और संकोच का त्याग करके जो कुछ कहो, मैं आज वही करू। सत्य प्रतिज्ञ, रघुकुल श्रेष्ठ श्री राम जी का वचन सुनकर सारा समाज सुखी हो गया।
चौपाई का अर्थ-
1- देवराज इंद्र भयभीत होकर देवगणो के साथ सोचने लगे कि अब तो बना बनाया काम बिगड़ना चाहता है कुछ उपाय करते नहीं बनता है। तब वह मन ही मन श्री राम जी की शरण गए।
2- फिर वह विचार करके आपस में कहने लगे कि श्री रघुनाथ जी तो भक्त की भक्ति के वश में है। अम्बरीष और दुर्वासा की घटना याद करके सारे देवता और इंद्र बहुत ही निराश हो गए।
3- पहले देवताओ ने बहुत ही भयानक दुःख सहे। तब भक्त प्रह्लाद ने ही नृसिंह भगवान को प्रकट किया था। सब देवता सिर धुनते कहते है कि अब इस बार देवताओ का काम भरत जी के हाथ है।
4- हे देवताओ! अन्य दूसरा कोई उपाय नहीं दिखाई देता है। श्री राम जी अपने श्रेष्ठ सेवको की सेवा को मानते है अर्थात उनके भक्त की जो सेवा करता है।
वह उसपर बहुत ही प्रसन्न होते है। अतः अपने गुण और शील से श्री राम जी को अपने वश में करने वाले भरत जी का ही सब लोग अपने हृदय में प्रेम सहित स्मरण करो।
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