नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Nagraj And Dhruv Comics Hindi Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Nagraj And Dhruv Comics Hindi Pdf https://pdfbookshindi.in/ram-rahim-comics-pdf/कर सकते हैं और आप यहां से Jai Ambe Gauri Aarti Pdf कर सकते हैं।
Nagraj And Dhruv Comics Hindi Pdf Download

Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।
यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।
सिर्फ पढ़ने के लिये
आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को काले वस्त्र और भटकैया के फूलो से वे रुद्रदेव का पूजन करती थी। श्रवण मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी एवं चतुर्दशी को वे यज्ञोपवीतो, वस्त्रो तथा कुश के पवित्रो से शिव की पूजा किया करती थी। भाद्रपद के मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को नाना प्रकार फूलो और फलो से शिव का पूजन करके चतुर्दशी तिथि को केवल जल का आहार किया करती।
भांति-भांति के फूलो फलो और उस समय उत्पन्न होने वाले अन्नो द्वारा वे शिव की पूजा करती और महीने भर अत्यंत नियमित आहार करके केवल जप लगी रहती थी। सभी महीनो में सारे दिन सती शिव की आराधना में ही संलग्न रहती थी। अपनी इच्छा से मानव रूप धारण करने वाली वे देवी दृढ़ता पूर्वक उत्तम व्रत का पालन करती थी।
इस प्रकार नंदा व्रत को पूर्ण रूप से समाप्त करके भगवान शिव में अनन्य भाव रखने वाली सती एकाग्रचित्त हो बड़े प्रेम से भगवान शिव का ध्यान करने लगी तथा उस समय ध्यान में ही निश्चल भाव से स्थित हो गयी। मुने! इसी समय देवता और ऋषि भगवान विष्णु और मुझको आगे करके सती की तपस्या देखने के लिए गए।
वहां आकर देवताओ ने देखा सती मूर्तिमती दूसरी सिद्धि के समान जान पड़ती है। वे भगवान शिव के ध्यान में निमग्न हो उस समय सिद्धावस्था को पहुंच गयी थी। समस्त देवताओ ने बड़ी प्रसन्नता के साथ वहां दोनों हाथ जोड़कर सती को नमस्कार किया मुनियो ने भी मस्तक झुकाये।
श्रीहरि आदि के मन में प्रीति उमड़ आयी। श्रीविष्णु आदि सब देवता और मुनि आश्चर्यचकित हो सती देवी की तपस्या की भूरि-भूरि प्रशंसा करने लगे। फिर देवी को प्रणाम करके वे देवता और मुनि तुरंत ही गिरिश्रेष्ठ कैलास को गए जो भगवान शंकर को बहुत ही प्रिय है।
सावित्री के साथ मैं और लक्ष्मी के साथ भगवान वासुदेव भी प्रसन्नता पूर्वक महादेव जी के समीप गए। वहां जाकर भगवान शिव को देखते ही बड़े वेग से प्रणाम करके सब देवताओ ने दोनों हाथ जोड़ विनीत भाव से नाना प्रकार के स्तोत्रों द्वारा उनकी स्तुति करके अंत में कहा।
प्रभो! आपकी सत्त्व रज और तम नामक जो तीन शक्तियां है उनके राग आदि वेग असह्य है। वेदत्रयी अथवा लोकत्रयी आपका स्वरुप है। आप शरणागतों के पालक है तथा आपकी शक्ति बहुत बड़ी है उसकी कही कोई सीमा नहीं है आपको नमस्कार है।
मित्रों यह पोस्ट Nagraj And Dhruv Comics Hindi Pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Nagraj And Dhruv Comics Hindi Pdf की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।