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Motu Patlu comics in Hindi pdf Download








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सिर्फ पढ़ने के लिये
तुम मेरे पुत्र हो मुनियो में श्रेष्ठ और सम्पूर्ण देवताओ के प्रिय हो। अतः बड़े प्रेम से तुम्हे आश्वासन देकर मैं फिर अपने स्थान पर आ गया। तदनन्तर प्रजापति दक्ष ने मेरी अनुनय के अनुसार अपनी पत्नी के गर्भ से साठ सुंदरी कन्याओ को जन्म दिया और आलस्य रहित हो धर्म आदि के साथ उन सबका विवाह कर दिया।
मुनीश्वर! मैं उसी प्रसंग को बड़े प्रेम से कह रहा हूँ तुम सुनो। मुने! दक्ष ने अपनी दस कन्याये विधि पूर्वक धर्म को ब्याह दी, तरह कन्याये कश्यप मुनि को दे दी और सत्ताईस कन्याओ का विवाह चन्द्रमा के साथ कर दिया। भूत, अंगिरा और कृशाश्व को उन्होंने दो-दो कन्याये दी और शेष चार कन्याओं का विवाह तार्क्ष्य के साथ कर दिया।
इनकी सब संतान परंपराओं से तीनो लोक भरे पड़े है। अतः विस्तार भय से उनका वर्णन नहीं किया जाता। कुछ लोग शिवा या सती को दक्ष की ज्येष्ठ पुत्री मानते है। कल्प भेद से ये तीनो मत ठीक है। पुत्र और पुत्रियों की उत्पत्ति के पश्चात पत्नी सहित प्रजापति दक्ष ने बड़े प्रेम से मन ही मन जगदंबिका का ध्यान किया।
साथ ही गद्गदवाणी प्रेम पूर्वक उनकी स्तुति भी की। बारंबार अंजलि बांधकर नमस्कार करके वे विनीत भाव से देवी को मस्तक झुकाते थे। इससे देवी शिवा संतुष्ट हुई और उन्होंने अपने प्रण की पूर्ति के लिए मन ही मन यह विचार किया कि अब मैं वीरिणी के गर्भ से अवतार लूँ।
ऐसा विचार कर वे जगदंबा दक्ष के हृदय में निवास करने लगी। मुनिश्रेष्ठ! उस समय दक्ष की बड़ी शोभा होने लगी। फिर उत्तम मुहूर्त देखकर दक्ष ने अपनी पत्नी में प्रसंन्नता पूर्वक गर्भाधान किया। तब दयालु शिवा दक्ष पत्नी के चित्त में निवास करने लगी। उनमे गर्भधारण के सभी चिन्ह प्रकट हो गए।
तात! उस अवस्था में वीरिणी की शोभा बढ़ गयी और उसके चित्त में अधिक हर्ष छा गया। भगवती शिवा के निवास के प्रभाव से वीरिणी महामंगलरूपिणी हो गयी। दक्ष ने अपने कुल सम्प्रदाय वेदज्ञान और हार्दिक उत्साह के अनुसार प्रसन्नता पूर्वक पुंसवन आदि संस्कार संबंधी श्रेष्ठ क्रियाये सम्पन्न की।
उन कर्मो के अनुष्ठान के समय महान उत्सव हुआ। प्रजापति ने ब्राह्मणो को उनकी इच्छा के अनुसार धन दिया। उस अवसर पर वीरिणी के गर्भ में देवी का निवास हुआ जानकर श्रीविष्णु आदि सब देवताओ को बड़ी प्रसन्नता हुई। उन सबने वहां आकर जगदंबा का स्तवन किया और समस्त लोको का उपकार करने वाली देवी शिवा को बारंबार प्रणाम किया।
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