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Mitti Chikitsa Pdf / मिट्टी चिकित्सा पीडीएफ


सिर्फ पढ़ने के लिए
नवीं भक्ति है सरलता और सबके साथ कपट रहित वर्ताव करना, हृदय में मेरा भरोसा रखना और किसी भी अवस्था में हर्ष और विषाद का न होना। इन नवो में से जिनके पास एक भी होती है वह स्त्री, पुरुष, जड़, चेतन कोई भी हो।
हे भामिनि! मुझे वही अत्यंत प्रिय है। फिर मुझमे तो सभी प्रकार की भक्ति दृढ है। अतएव जो गति योगियों को भी दुर्लभ है वही आज तेरे लिए सुलभ हो गयी है।
मेरे दर्शन का परम अनुपम फल यह है कि जीव अपने सहज स्वरुप को प्राप्त हो जाता है। हे भामिनि! अब यदि तू गजगामिनी जानकी जी की कुछ खबर जानती हो तो बता।
शबरी ने कहा – आप पंपा नामक सरोवर को जाइये वहां आपकी सुग्रीव से मित्रता होगी। हे देव! हे रघुवीर! वह सब हाल बताएगा। हे धीर बुद्धि! आप सब जानते हुए भी मुझसे पूछते है। बार-बार प्रभु के चरणों में सिर नवाकर प्रेम सहित उसने सब कथा सुनाई।
छंद का अर्थ-
सब कथा कहकर भगवान के मुख का दर्शन कर हृदय में चरण कमलो को धारण कर लिया और अपना स्थान छोड़कर वह उस दुर्लभ हरिपद में लीन हो गई जहां से लौटना नहीं होता है।
तुलसीदास जी कहते है कि अनेक प्रकार के कर्म अधर्म और बहुत से मत यह सब शोक प्रद है। हे मनुष्यो! इसे त्यागकर श्री राम जी के चरणों में प्रेम करो।
36- दोहा का अर्थ-
जो जन्म भूमि थी। ऐसे स्त्री को भी जिन्होंने मुक्त कर दिया अरे मन! तू ऐसे प्रभु को भूलकर चाहता है।
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