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Mental health Books pdf in Hindi Download
पुस्तक का नाम | Mental health Books pdf in Hindi |
पुस्तक के लेखक | लालजीराम शुक्ल |
फॉर्मेट | |
भाषा | हिंदी |
साइज | 58.9 Mb |
पृष्ठ | 445 |
श्रेणी | मनोवैज्ञानिक |
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सिर्फ पढ़ने के लिये
वे इस तरह खड़े या बैठे रह गए मानो उनपर विशेष मोह छा गया हो। भृगु के मंत्र बल से भाग जाने के कारण जो वीर शिवगण नष्ट होने से बच गए थे वे भगवान शिव की शरण में गए। उन सबने अमित तेजस्वी भगवान रूद्र को भली-भांति सादर प्रणाम करके वहां यज्ञ में जो कुछ हुआ था वह सारी घटना उनसे कह सुनाई।
गण बोले – महेश्वर! दक्ष बड़ा दुरात्मा और घमंडी है। उसने वहां जाने पर सती देवी का अपमान किया और देवताओ ने भी उनका आदर नहीं किया। अत्यंत गर्व से भरे हुए उस दुष्ट दक्ष ने आपके लिए यज्ञ में भाग नहीं दिया। दूसरे देवताओ के लिए दिया और आपके विषय में उच्च स्वर से दुर्वचन कहे।
प्रभो! यज्ञ में आपका भाग न देखकर सती देवी कुपित हो उठी और पिता की बारंबार निंदा करके अपने शरीर को योगाग्निद्वारा जलाकर भस्म कर दिया। यह देख दस हजार से अधिक पार्षद लज्जावश वहां मर गए। शेष हम लोग दक्ष पर कुपित हो उठे और सबको भय पहुंचाते हुए वेग पूर्वक उस यज्ञ का विध्वंस करने को उद्यत हो गए।
परन्तु विरोधी भृगु ने अपने प्रभाव से हमे तिरस्कृत कर दिया। हम उनके मंत्र बल का सामना न कर सके। प्रभो! विश्वंभर! वे ही हम लोग आज आपकी शरण में आये है। दयालो! वहां प्राप्त हुए भय से आप ही हमे बचाइए। निर्भय कीजिये। महाप्रभो! उस यज्ञ में आदि सभी दुष्टो ने घमंड में आकर आपका विशेष रूप से अपमान किया है।
कल्याणकारी शिव! इस प्रकार हमने अपना सती देवी का और मूढ़ बुद्धि वाले दक्ष आदि का भी सारा वृतांत कह सुनाया। अब आपकी जैसी इच्छा हो वैसा करे। ब्रह्मा जी कहते है – नारद! अपने पार्षदों की यह बात सुनकर भगवान शिव ने वहां की सारी घटना जानने के लिए शीघ्र ही तुम्हारा स्मरण किया।
देवर्षे! तुम दिव्य दृष्टि से सम्पन्न हो। अतः भगवान के स्मरण करने पर तुरंत वहां आ पहुंचे और शंकर जी को भक्ति पूर्वक प्रणाम करके खड़े हो गए। स्वामी शिव ने तुम्हारी प्रशंसा करके तुमसे दक्ष यज्ञ में गयी हुई सती का समाचार तथा दूसरी घटनाओ को पूछा।
तात! शंभु के पूछने पर शिव में मन लगाए रखने वाले तुमने शीघ्र ही वह सारा वृतांत कह सुनाया जो दक्ष यज्ञ में घटित हुआ था। मुने! तुम्हारे मुख से निकली हुई बात सुनकर उस समय महान रौद्र पराक्रम से सम्पन्न सर्वेश्वर रूद्र ने तुरंत ही बड़ा भारी क्रोध प्रकट किया।
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