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Mantra Yoga Pdf / मंत्र योग Pdf
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जो बड़े ही विकट योद्धा थे और जो युद्ध में किसी को कुछ भी नहीं गिनते थे। उन मारीच और सुबाहु को सहायको के साथ तुमने कैसे मारा?
चौपाई का अर्थ-
1- हे तात! मैं बलैया लेती हूँ। मुनि की कृपा से ही ईश्वर ने तुम्हारी बहुत सी बलाओ को टाल दिया। दोनों भाइयो ने यज्ञ की रखवाली करके गुरु जी के प्रसाद से सब प्रकार विद्याये पायी। .
2- चरणों की धूलि लगते ही मुनि की पत्नी अहल्या तर गई। यह कीर्ति विश्वभर में व्याप्त हो गई। कच्छप की पीठ, वज्र और पर्वत से भी कठोर जो शिव जी का धनु था सारे राजाओ से भरे हुए समाज में उसे भी तुमने ही तोड़ दिया।
3- विश्व विजय के यश और जानकी को प्राप्त किया और सब भाइयो को ब्याह कर घर आये, तुम्हारे सभी कार्य मनुष्य की शक्ति के बाहर (अमानुषी) है जो केवल विश्वामित्र जी की कृपा से ही सम्पन्न हुए ‘सुधरे’ है।
4- हे तात! तुम्हारा यह चन्द्रमुख देखकर आज हमारा जगत में जन्म लेना सफल हुआ। जो दिन तुम्हे देखे ही बीत गए उनको ब्रह्मा हमारी आयु में शामिल न करे और गिनती में न लावे।
ऐसे सुंदर और उत्तम बंदनवार बनाए मानो स्वयं कामदेव ने आकर ही फंदे सजाये है। अनेको मंगल-कलश और सुंदर ध्वजा, पताका, परदे और चंवर बनाये गए है।
2- जिसमे मणियों के अनेक सुंदर दीपक है, वह विचित्र मंडप तो अवर्णनीय है और उसका तो वर्णन ही नहीं किया जा सकता है। जिस मंडप में जानकी जी दुलहिन होंगी, किस कवि की बुद्धि ऐसी है जो उस मंडप का वर्णन कर सके।
3- जिस मंडप में रूप और गुण के समुद्र श्री राम जी दूल्हे होंगे, तो उस मंडप को तीनो लोको और चौदहो भुवन में प्रसिद्ध होना ही चाहिए, जनक जी के महल की शोभा के जैसी ही नगर के प्रत्येक घर की शोभा दिखाई दे रही है।
4- उस समय जिसने भी तिरहुत को देखा, उसे चौदह भुवन बहुत ही तुच्छ जान पड़े। जनक पुर में तुच्छ मनुष्य के घर जो सम्पदा उस समय सुशोभित थी उसे देखकर इंद्र भी मोहित हो जाता था।
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